नेपाल ग्रे-लिस्ट में, पर पाकिस्तान बाहर..!
आतंकी फंडिंग रोकने वाली एफएटीएफ की ताजा लिस्ट जारी
एफएटीएफ ने की पाकिस्तानी करतूतों की अनदेखी
ट्रंप कर रहे फेवर, हो रही एफएटीएफ की छीछालेदर
पेरिस, 25 अक्टूबर (एजेंसियां)। दुनियाभर में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) नेपाल को ग्रे-लिस्ट में डाल सकता है, लेकिन जिस पाकिस्तान की वजह से नेपाल संदिग्ध बना उस पाकिस्तान को एफएटीएफ केवल चेतावनी देकर छोड़ देता है, उसे ब्लैक या ग्रे-लिस्ट में नहीं डालता। अमेरिका फिलहाल पाकिस्तान का आका बना हुआ है तो किसी पश्चिमी देश से संचालित होने वाले संगठन की अमेरिका के खिलाफ जाने की क्या औकात! भले ही आतंकवाद के मुखालफत की छीछालेदर होती रहे। एफएटीएफ की अध्यक्ष एलिसा डी आंदा माद्राजो ने पाकिस्तान को चेतावनी देकर दुनिया के सामने अपनी झेंप मिटाई और कहा कि ग्रे-लिस्ट से बाहर आने का मतलब यह नहीं कि आतंकी फंडिंग का लाइसेंस मिल गया है।
एफएटीएफ ने अपनी ताजा समीक्षा रिपोर्ट में उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार को दोबारा ब्लैक-लिस्ट में रखा है। एफएटीएफ ने कहा कि इन तीनों देशों की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर टेररिस्ट फाइनेंसिंग व्यवस्था में गंभीर कमियां हैं। ये देश लगातार अपने वादे पूरे नहीं कर पाए हैं और इससे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को जोखिम बना हुआ है। वहीं, नेपाल समेत 18 देश ग्रे-लिस्ट में बने हुए हैं। एफएटीएफ का कहना है कि इन देशों की एएमएल/सीएफटी व्यवस्था में गंभीर कमियां हैं और तय समय में सुधार न हुआ तो कड़े कदम उठाए जाएंगे। म्यांमार को अक्टूबर 2022 में ब्लैक-लिस्ट में डाला गया था। म्यांमार अब तक अपनी एक्शन प्लान के ज्यादातर बिंदुओं पर प्रगति नहीं कर पाया है। एफएटीएफ ने चेतावनी दी थी कि अगर अक्टूबर 2025 तक सुधार नहीं हुए तो और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। हालांकि म्यांमार ने जब्त की गई संपत्तियों के प्रबंधन में कुछ सुधार किए हैं, लेकिन उसे अपने कानून प्रवर्तन तंत्र में वित्तीय खुफिया जानकारी के इस्तेमाल, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अवैध संपत्तियों की जब्ती पर और काम करने की जरूरत है।
इसी सिलसिले में ईरान ने 2018 में समाप्त हुए अपने एक्शन प्लान को अब तक पूरा नहीं किया है। हालांकि उसने अक्टूबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र के एक आतंक वित्तपोषण से जुड़े कानून को मंजूरी दी है, लेकिन एफएटीएफ के अनुसार अब भी कई प्रमुख कमियां बाकी हैं। फरवरी 2020 से ईरान ने कई रिपोर्टें जमा कीं, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। एफएटीएफ ने सदस्य देशों को कहा है कि वे ईरान से संबंधित वित्तीय संस्थानों पर सख्ती बरतें, नई शाखाएं खोलने की अनुमति न दें और जोखिमों को ध्यान में रखें।
उत्तर कोरिया को लेकर एफएटीएफ ने कहा कि उत्तर कोरिया (डीपीआरके) के अवैध हथियार कार्यक्रम और धन शोधन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। संगठन ने सभी देशों से आग्रह किया है कि वे डीपीआरके से वित्तीय लेनदेन सीमित करें, उसकी बैंकों की शाखाएं बंद करें और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत प्रतिबंध लागू करें। रिपोर्ट में कहा गया कि उत्तर कोरिया की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से बढ़ती कनेक्टिविटी से प्रोलिफरेशन फाइनेंसिंग (हथियार प्रसार से जुड़ी फंडिंग) का खतरा और बढ़ गया है।
दूसरी ओर एफएटीएफ ने नेपाल, अल्जीरिया, अंगोला, बुल्
इसके साथ ही बुर्किना फासो, मोजाम्बिक, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका को प्रगति के आधार पर ग्रे-लिस्ट से हटा दिया गया है। वहीं, बोलीविया, हैती, लेबनान,
गौरतलब है कि ब्लैक-लिस्ट में ऐसे देश होते है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक वित्तपोषण से निपटने में बेहद कमजोर हैं और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा हैं। इनके खिलाफ सख्त प्रतिबंध और वित्तीय बहिष्कार लागू किए जाते हैं। वहीं ग्रे-लिस्ट में ऐसे देश होते है जो अभी सुधार की प्रक्रिया में हैं, लेकिन जोखिम बने हुए हैं। अगर सुधार नहीं हुआ, तो इन्हें ब्लैक-लिस्ट किया जा सकता है।
यह किसी से छुपा नहीं है पाकिस्तान किस तरह से आतंकियों को अपने देश में संरक्षण देता है। आज भी हजारों आतंकी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं। एफएटीएफ पाकिस्तान को केवल चेतावनी देकर छोड़ दे रहा है। एफएटीएफ की अध्यक्ष इतना ही कप पाईं कि पाकिस्तान सहित सभी देशों को अपराधों की रोकथाम और निवारण के लिए उपायों को लागू करना जारी रखना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान को अक्टूबर 2022 में एफएटीएफकी ग्रे-लिस्ट से हटा दिया गया था और यह सुनिश्चित करने के लिए उस पर नजर रखी जा रही थी कि वह आतंकवाद के वित्तपोषण विरोधी उपायों को लागू कर रहा है कि नहीं। हालांकि, उसके बाद पाकिस्तान की आतंकवाद के वित्त-पोषण की हरकतें काफी बढ़ गईं और यह जम्मू कश्मीर में पहलगाम हमले के रूप में पूरी दुनिया को दिखा। यह अलग बात है कि वह एफएटीएफ को नहीं दिखा। वह इसलिए कि उस अहमक देश पर एक अहमक राष्ट्रपति की कृपा दृष्टि बन गई। एफएटीएफ अध्यक्ष ने आतंकवाद के वित्त-पोषण को लेकर टिप्पणी की, जबकि उन्हें भी पता है कि पाकिस्तान आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और उसके आतंकवादी शिविरों को वित्तपोषित करने के लिए डिजिटल वॉलेट का उपयोग कर रहा है और मनृट्रेल को छिपाने के लिए मनी-लॉन्ड्रिंग के सारे हथकंडे इस्तेमाल कर रहा है। एफएटीएफ को यह पता है कि ईजीपैसा और सदापे जैसे ई-वॉलेट्स के जरिए मसूद अजहर के परिवार के खाते में पैसे इकट्ठे किए जा रहे हैं। इसमें आतंकी अपने परिवारों का सहारा ले रहे हैं। वे महिलाओं के नाम से भी अकाउंट बनाते हैं ताकि एक अकाउंट में ज्यादा पैसा ट्रांसफर न हो और इस तरह वे बड़ी रकम इकट्ठी करके फिर से आतंकी कैंप खड़े कर दें। इसी वजह से भारत के राष्ट्रीय जोखिम आकलन 2022 में पाकिस्तान को उच्च जोखिम वाले आतंकवादी वित्तपोषण स्रोत के रूप में चिन्हित किया गया था। लेकिन एफएटीएफ ने इसकी अनदेखी कर दी।
एफएटीएफ की अध्यक्ष ने इतना जरूर कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा, ग्रे-लिस्ट से बाहर किए जाने के बाद भी पाकिस्तान की जानकारी इकट्ठी की जा रही है। अगर किसी देश को ग्रे-लिस्ट से बाहर किया भी जाता है तो भी उसे आपराधिक गतिविधियों के लिए सुरक्षा नहीं मिल जाती है। एफएटीएफ का काम ही है कि वह दुनियाभर में आतंकी गतिविधियों के लिए होने वाली फंडिंग पर नजर रखे।
खुफिया एजेंसियों और एफएटीएफ की जांच एजेंसी ने यह रिपोर्ट दे रखी है कि पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद अब महिलाओं को अपने संगठन में शामिल करने के लिए नया ऑनलाइन जेहाद क्लासेज भी शुरू करने वाला है। इस ऑनलाइन क्लास में महिलाओं को अपने संगठन में शामिल करने की कोशिश की जाएगी, उन्हें जेहाद से जोड़ा जाएगा और आगे जाकर ये महिलाएं आतंकवादी बनकर फिदायीन धमाके का काम करेंगी। इस रिपोर्ट के बावजूद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को केवल चेतावनी देने की औपचारिकता निभाई।
पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क अब डिजिटल वॉलेट्स और क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके कराची, क्वेटा और पेशावर से लेकर अफगानिस्तान और खाड़ी देशों तक फंड ट्रांसफर कर रहे हैं। एफएटीएफ की कार्रवाई के बाद हवाला चैनलों पर शिकंजा कसने से आतंक वित्तपोषकों ने प्रीपेड वॉलेट्स, मोबाइल बैंकिंग ऐप्स और नकली एनजीओ खातों के जरिए धन के प्रवाह का नया रास्ता बना लिया है। जाजकैश, ईज़ीपैसा और सादापे जैसे ऐप्स पर छोटे-छोटे चैरिटी वॉलेट्स के माध्यम से माइक्रो-डोनेशन्स जुटाई जा रही हैं, जिन्हें बाद में आतंकवादी लॉजिस्टिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिमी एजेंसियों की डिजिटल फॉरेंसिक जांच में सामने आया है कि ये फंड्स दुबई स्थित वॉलेट्स और क्रिप्टो एक्सचेंजों से होकर पाकिस्तान की फिनटेक व्यवस्था में पहुंच रहे हैं, जिनमें कई खातों को आईएसआई से जुड़े ऑपरेटिव्स की तरफ से कंट्रोल किए जा रहे हैं।
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