#Draft: Add Your Titleछोटी और सच्ची ज़िंदगी की कहानियाँ अब सिनेमा से गायब हैं : कृतिका कामरा

उम्मीद है मेरी फिल्म उन्हें वापस लाएगी

#Draft: Add Your Titleछोटी और सच्ची ज़िंदगी की कहानियाँ अब सिनेमा से गायब हैं : कृतिका कामरा

मुंबई, 23 अक्टूबर (वार्ता)। हिंदी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री कृतिका कामरा का कहना है कि आज के दौर में सच्ची ज़िंदगी और छोटे परिवारों की कहानियाँ पर्दे से गायब होती जा रही हैं। एक समय था जब बॉलीवुड की आत्मा इन्हीं सादगीभरी कहानियों में बसती थी, लेकिन अब ग्लैमर, थ्रिलर और बायोपिक के युग में वो सादगी कहीं खो गई है। कृतिका को उम्मीद है कि उनकी आने वाली फिल्म इस खालीपन को भरने का काम करेगी और दर्शकों को फिर से उस पुराने अपनापन का एहसास कराएगी।

यह फिल्म अनुषा रिज़वी के निर्देशन में बन रही है, जिन्होंने पीपली लाइव जैसी सराही गई फिल्म से समाज की गहराइयों को बड़ी सहजता से दिखाया था। नई फिल्म दिल्ली की पृष्ठभूमि पर आधारित है और एक साधारण परिवार की कहानी को हास्य और भावनाओं के संग पेश करेगी। इसमें परिवार के बीच पीढ़ियों का अंतर, बहनापा, और मानवीय रिश्तों की गर्माहट को बेहद सच्चाई से दिखाया जाएगा।

कृतिका कामरा ने कहा, “मुझे वो छोटी, सच्ची कहानियाँ बहुत याद आती हैं जो बिना दिखावे के हमारे दिल को छू जाती थीं। वो फिल्में जिनमें हँसी भी होती थी, आँसू भी, और एक गहरा अपनापन भी। अब वैसी कहानियाँ बहुत कम बन रही हैं। अनुषा के साथ काम करना ऐसा लगता है जैसे उस भूली हुई दुनिया में वापस लौट रहे हों।”

उन्होंने आगे कहा कि एक दौर में हिंदी फिल्मों में साधारण जीवन की भी सुंदरता को दिखाया जाता था। “भाई-बहन की छोटी-छोटी नोकझोंक, खाने की मेज़ पर परिवार की बातचीत, या किसी सादे पल में छिपी भावनाएँ – यही कहानियाँ दिल को छू लेती थीं। बड़े सेट और चमक-दमक से भरे सिनेमा का अपना आकर्षण है, लेकिन उन दिल से जुड़ी कहानियों की कमी आज बहुत महसूस होती है,” कृतिका ने कहा।

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फिल्म की निर्देशक अनुषा रिज़वी ने भी पारिवारिक रिश्तों की गर्मजोशी और सरल हास्य को अपनी फिल्मों का हिस्सा बनाया है। इस बार भी वह एक ऐसी कहानी लेकर आ रही हैं, जो न केवल मनोरंजन करेगी बल्कि सोचने पर मजबूर भी करेगी। कृतिका का मानना है कि यह फिल्म पुराने दौर की याद दिलाएगी जब सिनेमा घर-घर की बात कहता था और हर किरदार अपनेपन से भरपूर लगता था।

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कृतिका ने कहा कि उनकी यह फिल्म केवल कहानी नहीं, बल्कि एक एहसास है — वह एहसास जो हम सबके बचपन, परिवार और सादगी से जुड़ा हुआ है। “उम्मीद है हमारी फिल्म उस पुराने अपनापन को वापस लाएगी — वही एहसास जो घर जैसा लगता है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।

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फिल्म में हल्का हास्य, भावनाएँ और वास्तविकता का सुंदर मिश्रण देखने को मिलेगा। यह दर्शकों को न केवल पुरानी यादों में ले जाएगी बल्कि आज के व्यस्त और डिजिटल युग में इंसानी रिश्तों की अहमियत भी याद दिलाएगी।

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