सोना अपना ‘सोणा’ है...
विदेशों में बंधक रखा अपना सोना वापस ला रही है भारत सरकार
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता में दूरदर्शी फैसला
सबसे अधिक स्वर्ण भंडार वाले देशों में 8वें स्थान पर भारत
शुभ-लाभ राष्ट्रहित
भारत सरकार समझदारी और दूरदर्शिता से विदेशी बैंकों में रखा भारत का सोना वापस ला रही है। विश्व में फैली अराजकता के मद्देनजर यह काम अत्यंत जरूरी थी, जिसे समय रहते भारत सरकार ने समझा और उसे पूरा करने में लग गई। आपको मालूम ही है कि अमेरिका या यूरोपीय देशों में रखा विभिन्न देशों का सोना जब्त कर लिए जाने की तमाम कार्रवाइयां हुईं। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बहाने रूस का रखा तमाम सोना जब्त कर लिया। अमेरिका अपना स्वर्ण भंडार बढ़ाने में लगा है। अमेरिकी की तरह ही अन्य पश्चिमी देश भी सोना भंडार बढ़ा रहे हैं और उसे सुरक्षित रख रहे हैं। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि दुनिया में अमेरिकी डॉलर अपना वर्चस्व खो रहे हैं। ऐसे में सोना ही विश्व का आर्थिक संतुलन ठीक करेगा। लिहाजा, इन दूरदर्शी दृष्टिकोणों से भारत सरकार ने विदेशी बैंकों या संस्थानों में रखा अपना सोना वापस लाने का काम तेज कर दिया है।
सोना वापस लाने का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय आर्थिक उथल-पुथल के साथ-साथ राजनीतिक उथल-पुथल भी है। रूस-यूक्रेन युद्ध, अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के आने से हुए परिणाम और पश्चिम द्वारा लगाए गए प्रतिबंध, इजराइल और हमास का युद्ध, ईरान के साथ अमेरिका-इजराइल की तनातनी, अमेरिकी टैरिफ के परिणामस्वरूप दुनिया में बढ़ा शक्ति असंतुलन या नया शक्ति-ध्रुवीकरण जैसे कई कारण हैं। लिहाजा, भारत सरकार का अपना सोना वापस लाना समय के साथ चलने का पुख्ता संकेत है। इस कदम से आरबीआई को अपने सोने के भंडार पर अधिक नियंत्रण मिलता है और यह संदेश जाता है कि वह अपनी वित्तीय संप्रभुता में सुरक्षित है। किसी देश के लिए अपना सोना अपने पास रखना कोई छोटी बात नहीं है। दरअसल, 1991 में भारत को वित्तीय और आर्थिक संकट के बीच बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान से 40 करोड़ डॉलर (करीब 35,276 करोड़ रुपए) का ऋण लेने के लिए अपना सोना बाहर भेजना पड़ा था। कुछ लोगों ने आरबीआई से विदेशों से सोना वापस भारत लाने के लिए और भी तेज़ी से कदम उठाने का आग्रह किया है। जैसा कि पाइनट्री मैक्रो के संस्थापक रितेश जैन ने बताया, हमें वास्तव में आश्चर्य है कि सोने की एक बड़ी मात्रा अभी भी भारत के बाहर पड़ी है। मेरा दृढ़ मत है कि इस नई दुनिया में, अगर सोना आपके कब्जे में नहीं है, तो वह आपका सोना नहीं है।
इतिहास ने इसे साबित कर दिया है। ट्रंप प्रशासन ने 2023 में रूस को सोने सहित लगभग 300 अरब डॉलर (करीब 26.46 लाख करोड़ रुपए) मूल्य की अपनी विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों तक पहुंच से रोक दिया। इस घटनाक्रम के बाद, यूरोप के करदाता संघ (टीएई) ने यूरोपीय देशों से अपने स्वर्ण भंडार वापस यूरोप लाने का आग्रह किया था। टीएई ने चिंता व्यक्त की थी कि ट्रंप सोने को देश से बाहर नहीं जाने देने का फैसला कर सकते हैं। इसने जर्मनी की संसद के नेताओं को सोने की जांच करने की अनुमति नहीं दिए जाने का उदाहरण दिया। टीएई ने एक बयान में कम से कम संपूर्ण सूची और ऑडिट करने का आह्वान किया था।
इसमें वित्तीय पहलू भी शामिल हो सकते हैं। आरबीआई को आमतौर पर बैंक ऑफ इंग्लैंड या बीआईएस में अपना सोना जमा करने के लिए शुल्क देना पड़ता है। कुछ सोना वापस लाने से कम से कम कुछ लागत बच जाएगी। केंद्रीय बैंक 2010 से सोने के शुद्ध खरीदार रहे हैं। आरबीआई ने 2009 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 200 टन सोना खरीदा था। पिछले कुछ वर्षों में यह धीरे-धीरे अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि कर रहा है।
यह भी रेखांकित करने की बात है कि वर्ष 2017 के बाद से अधिकांश देशों के सेंट्रल बैंकों ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की हिस्सेदारी कम कर दी है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी करीब 15 प्रतिशत पहुंच गई है। दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका के पास सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार (गोल्ड रिजर्व) है। अमेरिका के पास कुल 8,133.5 टन सोना है जो उसके कुल विदेशी भंडार का 78.7 प्रतिशत है। उसके बाद जर्मनी के पास 3,350.3 टन सोना, इटली के पास 2,451.8 टन सोना, फ्रांस के पास 2437 टन सोना, रूस के पास 2,326.5 टन सोना, चीन के पास 2,302.3 टन सोना, स्विट्जरलैंड के पास 1,039.9 टन सोना, भारत के पास 880 टन सोना, जापान के पास 846 टन सोना और तुर्की के पास 639 टन सोने का भंडार है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मार्च 2025 से सितंबर 2025 के बीच 64 टन से ज्यादा सोना देश में वापस ला चुका है। पिछले साल केंद्रीय बैंक ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स से 200 टन से ज्यादा सोना स्वदेश भेजा था। मार्च 2023 से अब तक आरबीआई 274 टन सोना स्वदेश ला चुका है। केंद्रीय बैंक मार्च 2025 से सितंबर 2025 के बीच 64 टन से ज्यादा कीमती धातु भारत वापस ला चुका है। यह तब हुआ जब रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2024 में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स से 102 टन सोना स्थानांतरित किया और मई में 100 टन और सोना स्वदेश भेजा। इस अभियान को 1990 के दशक के बाद से सबसे बड़े सोने के स्थानांतरणों में से एक बताया गया।
विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन पर अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 तक रिजर्व बैंक का स्वर्ण भंडार 880 मीट्रिक टन है। सितंबर 2024 तक, स्वर्ण भंडार 854.73 मीट्रिक टन था। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक ने पिछले वर्ष की तुलना में अपना भंडार 25.45 मीट्रिक टन बढ़ाया है। इसमें से 575.8 मीट्रिक टन वर्तमान में भारत में है, जबकि 290.37 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) और स्विट्जरलैंड में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास रखा गया है। मार्च में आरबीआई के पास भारत में 512 टन और बाकी 348.6 टन विदेश में था। आरबीआई के पास सोने के जमा के रूप में 13.99 मीट्रिक टन अतिरिक्त है। मार्च 2023 से, आरबीआई 274 टन सोना घर लाया है।
कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी मार्च 2025 के 11.70 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2025 में लगभग 13.92 प्रतिशत हो जाएगी। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि इसका एक कारण सोने की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि भी है, जो हाल के हफ्तों में कम हुई है। 17 अक्टूबर को सोने ने सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ था, जब यह कीमती धातु 1,32,294 रुपए प्रति 10 ग्राम और चांदी 1,70,415 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई थी। हालांकि, हाजिर सोने की कीमत, जिसके तहत यह कीमती धातु मौजूदा बाजार मूल्य पर बेची जाती है, सोमवार को 4,000 डॉलर (लगभग 3.53 लाख रुपए) के स्तर से नीचे गिर गई और फिर मंगलवार को फिर से गिरकर 3,986 डॉलर (लगभग 3.51 ला
विदेशों में रखा सोना घर लाने का फैसला वित्त मंत्रालय, आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड और उसकी विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन टीम द्वारा मिलकर लिया जाता है। इसके बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) से कीमती धातु को भौतिक रूप से स्थानांतरित करके देश में वापस लाया जाता है। इस उद्देश्य के लिए, खास कर मुंबई और नागपुर स्थित अपने केंद्रीय भंडार सहित देश के विभिन्न राज्यों में सुरक्षित सुविधाएं रखता है। यह कार्य अत्यंत गोपनीयता से होता है। आरबीआई आमतौर पर अंतर्राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स फर्मों, बीमा एजेंसियों और भारतीय सुरक्षा बलों के साथ समन्वय करता है। सोने के बैंक ऑफ इंग्लैंड और बीआईएस से स्थानांतरित होने से लेकर भारत में तिजोरी में सुरक्षित होने तक, शिपमेंट पर नजर रखी जाती है। सोने की सुरक्षा भारतीय सुरक्षाकर्मी भी करते हैं। इस कदम से आरबीआई को अपने स्वर्ण भंडार पर अधिक नियंत्रण मिलता है और यह संदेश जाता है कि उसकी वित्तीय संप्रभुता सुरक्षित है। इसे चार्टर्ड या विशेष विमानों से स्वदेश लाया जाता है। आमतौर पर एहतियात के तौर पर यह काम खेपों में किया जाता है। अधिकांश विवरण अत्यंत गोपनीय रहते हैं। आरबीआई भारत वापस आने से पहले सोने की जांच, वजन और सील करता है। फिर शिपमेंट का सत्यापन किया जाता है और उसे तिजोरी में रखा जाता है। आरबीआई, विदेशी मुद्रा भंडार पर अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट में, जनता को अपने सोने की स्थिति के बारे में अद्यतन करता है।
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