सपा नेता आजम खान के बेटे को सुप्रीम कोर्ट से झटका

जाली दस्तावेजों पर पासपोर्ट हासिल करने का मामला

सपा नेता आजम खान के बेटे को सुप्रीम कोर्ट से झटका

लखनऊ/नई दिल्ली, 06 नवंबर (एजेंसियां)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के बेटे और यूपी के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान की याचिका को खारिज कर दिया है। अब्दुल्ला की याचिका में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी। पूर्व विधायक अब्दुल्ला खान के खिलाफ यह मामला पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के आरोप में दर्ज किया गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि हम हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकिहम यह स्पष्ट करते हैं कि निचली अदालत हाई कोर्ट के आदेश से प्रभावित हुए बिना सभी मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें मुकदमा समाप्त होने के बाद प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि ट्रायल कोर्ट पर भरोसा रखें। फैसला ट्रायल कोर्ट में ही होने दें। जब मुकदमा पहले ही खत्म हो चुका हैतो अब हम इसमें दखल क्यों दें?

यह मामला रामपुर जिले के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर से संबंधित हैजिसमें अब्दुल्ला आजम खान आईपीसी की धारा 420467468 और 471 के तहत रामपुर के विशेष एमपी/एमएलए जज के समक्ष मुकदमे का सामना कर रहे हैं। एफआईआर के अनुसारअब्दुल्ला आजम खान ने कथित तौर पर पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कियाजिसमें उनकी जन्मतिथि 30 सितंबर1990 बताई गई थीजबकि उनके स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार उनकी वास्तविक जन्मतिथि 01 जनवरी1993 है। मामले में आरोप 09 सितंबर2021 को तय किए गए थे।

अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम खान और उनके पिता आजम खान द्वारा दायर एक अन्य मामले को रद्द करने की मांग वाली एक समान याचिका को खारिज कर दिया थाजिसमें विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए पैन कार्ड प्राप्त करने हेतु जाली जन्म प्रमाण पत्र के कथित उपयोग से संबंधित एक अन्य मामले को रद्द करने की मांग की गई थी। उस याचिका को भी खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि उस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है। उसने ट्रायल कोर्ट को आठ हफ़्तों के भीतर फैसला सुनाने का निर्देश दिया थाऔर स्पष्ट किया था कि हाई कोर्ट की टिप्पणियों का अंतिम निर्णय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे पहले जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर निर्देश दिया था कि दोनों मामलों में सुनवाई जारी रह सकती हैलेकिन अंतिम फैसला नहीं सुनाया जाना चाहिए।

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हाईकोर्ट ने कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं तथा संविधान के अनुच्छेद 20(2) और सीआरपीसी की धारा 300 के तहत दोहरे खतरे का सिद्धांत लागू नहीं होता। हाई कोर्ट ने कहा था कि यद्यपि कथित तौर पर एक ही जाली जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल पैन कार्ड और पासपोर्टदोनों प्राप्त करने के लिए किया गया थाफिर भी प्रत्येक प्रयोग एक अलग अपराध है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अभियुक्तों ने अपने आवेदन देरी से दाखिल किए थे और तथ्यों की जानकारी होने के बावजूद पहले दोहरे खतरे की दलील नहीं दी थी।

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