ऑपरेशन सिंदूर-2 की आहट, पर एलओसी पर बंकर हुए नहीं तैयार

ऑपरेशन सिंदूर-2 की आहट, पर एलओसी पर बंकर हुए नहीं तैयार

सुरेश एस डुग्गर

जम्मू07 नवंबर। ऑपरेशन सिंदूर-2 की आहट फिर से आने लगी है। पर एलओसी से सटे इलाकों में रहने वालों को ऑपरेशन सिंदूर-1 के दौरान पाक गोलाबारी से हुई तबाही याद आ रही है। ऑपरेशन सिंदूर-1 के छह महीने बाद भी उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के उड़ी इलाके में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले निवासियों का कहना है कि उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया हैक्योंकि बंकरों की लंबे समय से चली आ रही मांग अनसुनी हो रही है। ऑपरेशन से पहलेग्रामीणों ने सीमा पार से गोलाबारी के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए बंकरों के निर्माण की बार-बार अपील की थी। आधे साल बाद भीमांग जस की तस बनी हुई है।

एलओसी से सटे चरुंडा गांव के पूर्व सरपंच लाल दीन खटाना बताते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से एक भी बंकर नहीं बनाया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में सरकार ने कोई नया बंकर नहीं बनाया है। हमारे यहां जो भी बंकर हैंवे लगभग चार साल पहले बनाए गए थे। स्थानीय निवासी लाल हुसैन कोहली कहते हैं कि यह इलाका सीमा पार से गोलीबारी के लिए बेहद संवेदनशील बना हुआ है और यहां तत्काल कार्यात्मक बंकरों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कि यहां लगभग आठ सामुदायिक बंकर हैंलेकिन वे सभी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं और उपयोग के लायक नहीं हैं।

इसी तरह से गरकोट गांव के बशीर अहमद भट ने भी इसी तरह की चिंताएं व्यक्त कीं। वे कहते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बंकर निर्माण के लिए कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। अगर सीमा पार से फिर से गोलाबारी हुईतो हम कहां जाएंगे? भट कहते हैं कि सरकारी मदद के अभाव मेंकई ग्रामीणों ने अपने सीमित संसाधनों का उपयोग करके खुद ही अस्थायी बंकर बनाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि हम गरीब लोग हैंलेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हमें अपने परिवारों की रक्षा करनी है। उड़ी के मोथल गांव के निवासी मंजूर अहमद ने तो चौंकाने वाला रहस्योदघाटन किया कि उनके गांव में तो एक भी बंकर नहीं बना है। सीमावर्ती एक अन्य बस्तीसिलिकोटे गांव के इरशाद अहमद के मुताबिक यहां कोई नया बंकर नहीं बना है। हमारी जान को खतरा बना हुआ है। वे कहते थे कि पुराने बंकर भी जर्जर हो गए हैं और गोलाबारी के दौरान निवासियों को सुरक्षित रूप से रहने की अनुमति नहीं देते हैं।

Read More कई साझा मुद्दों पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख साझेदार रहा है भारत : अमेरिका

वर्ष 2020 में सरकार ने नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उड़ी में कई सामुदायिक बंकरों के निर्माण का प्रस्ताव रखा था। कुछ पूरे हो गएजबकि कई विभिन्न चुनौतियों के कारण अधूरे रह गए हैं। पिछले महीनेजम्मू कश्मीर सरकार ने विधानसभा को सूचित किया कि उड़ी के सीमावर्ती गांवों में स्वीकृत 202 व्यक्तिगत बंकरों और ऊपरी सुरक्षा खाइयों में से 40 का निर्माण पूरा हो चुका हैजबकि शेष 162 का निर्माण अगले चार सप्ताह  में पूरा होने की उम्मीद है। यहां यह बताना जरूरी है कि इसी साल मई मेंबारामुल्ला के उपायुक्त (डीसी) ने भी उड़ी सेक्टर में 202 ऊपरी सुरक्षा खाइयों के निर्माण को मंजूरी दी थी। हालांकिकई निवासियों ने इन खाइयों को पैसे की बर्बादी बताया है। कमलकोट गांव के निवासी तारिक हाशिम बताते हैं कि वे उथली भूमिगत खाइयां खोद रहे हैं और उन्हें लकड़ी के तख्तों और मिट्टी से ढंक रहे हैं। भारी गोलाबारी के दौरान ऐसी संरचनाएं असुरक्षित और बेकार होती हैं। हमें उचित कंक्रीट के बंकरों की जरूरत है।

Read More  राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज

Tags: