हिट रहा करप्शन से कट्टा और जंगलराज से परिवारवाद पर चोट
बिहार चुनाव में पीएम मोदी ने बिगाड़ डाले विपक्ष के समीकरण
छठ महापर्व पर राहुल गांधी की महाबेवकूफी भी खूब उछली
प्रधानमंत्री ने बनाया रैलियों का रिकॉर्ड, पिछला रिकॉर्ड तोड़ा
पटना, 09 नवंबर (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्डतोड़ रैलियां कर तमाम राजनीतिक समीकरणों की ऐसी-तैसी कर दी। उनकी रैलियों के आगे विपक्ष का कोई नेता टिक नहीं पाया। पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बिहार में चुनावी रैलियों की झड़ी लगा दी है। पीएम मोदी ने बिहार में रैली करने का 2020 का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ डाला है। उन्होंने बिहार चुनाव के दौरान 2020 की तुलना में इस बार ज्यादा रैलियां की हैं। पीएम मोदी ने जिन मुद्दों पर फोकस किया, वे मुद्दे पूरी तरह बिहार में हावी रहे। उन्होंने जंगलराज, कट्टा, करप्शन, परिवा
इस तरह पीएम मोदी ने बिहार चुनाव में जो मुद्दे उठाए उसने चुनाव की दशा और दिशा को बदलने का काम किया। उन्होंने 24 अक्टूबर को जननायक कर्पूरी ठाकुर के गांव में उनके परिवार से मिलकर चुनावी रैलियों की शुरुआत की। इस दौरान महिलाओं को खास तौर पर उन्होंने अपील की, सामाजिक कल्याण के लिए चलाई जा रही निःशुल्क योजनाओं को दोहराया। विकास की रफ्तार को हवा दे रही सड़कों की खासतौर पर चर्चा की, जो विगत वर्षों में काफी अच्छी हो गई है। यानि लालू-राबड़ी राज की नाकामियां, यूपीए सरकार के घोटाले के समानांतर डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों को गिना कर पीएम मोदी ने जनता का दिल जीतने की कोशिश की।
प्रधानमंत्री ने बिहार में 14 रैलियां कीं और सात बार बिहार का दौरा किया। इस दौरान बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सहरसा, छ
पहले फेज के चुनाव में करीब 65 फीसदी वोटिंग हुई, लेकिन महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले 8 फीसदी ज्यादा वोटिंग किया। माना जा रहा है कि महिलाओं का वोटिंग में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना, महिला कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की वजह से है। खास कर हाल ही में महिलाओं के खातों में आए 10000 रुपए ने उन्हें ताकत दी है। बिजनेस के क्षेत्र में आगे बढ़ने पर 2 लाख तक का लोन देने का वादा भी महिलाओं को लुभा रहा है। महिलाओं को मुफ्त राशन, स्कूलों में लड़कियों को मिल रही साइकिल समेत नई पीढ़ी को लाभ पहुंचाने वाली तमाम योजनाओं से हो रहे लाभ की ओर जनता का झुकाव देखा गया। इसलिए माना जा रहा है कि महिलाओं का रुझान एनडीए की ओर रहा है और इनलोगों ने बढ़चढ़ कर वोट किया। सवाल यह उठता है कि क्या महिलाओं का वोट ही सरकार बनाने में निर्णायक साबित होगा? 2005 में सत्ता में आए नीतीश कुमार ने महिलाओं को तरजीह दी थी और उनके लिए कई योजनाएं शुरू की थी। यही वजह है कि महिलाएं उन्हें ज्यादा संख्या में वोट देती आ रही हैं। दूसरी बात ये भी है कि बिहार की महिलाएं दूसरे राज्यों से ज्यादा राजनीतिक रूप से जागरूक मानी जाती है। 10 हजार रुपए खाते में आने के बाद तो उनमें ज्यादा उत्साह देखा गया है। बिहार चुनाव के बाद एनडीए सरकार अगर फिर से सत्तासीन होती है, तो इतना तो तय है कि इसका श्रेय महिलाओं को जाएगा। इससे महिलाओं को वोट बैंक के रूप में देखने का ट्रेंड देशभर में स्थापित हो सकता है।
बिहार के सबसे बड़े पर्व छठ के अपमान का मसला भी खूब चर्चा और जन-निंदा का विषय बना। पीएम मोदी ने भी इसे उठाया। छठ पर्व से खास तौर पर सम्पूर्ण बिहार की आस्था जुड़ी हुई है। इसलिए पीएम मोदी ने लोगों को याद दिलाया कि कैसे महागठबंधन ने छठ का अपमान किया है और अपने प्रचार में धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल करके वो साफ बता रहे हैं कि वो बिहार को क्या देने वाले हैं। 2005 से पहले जिन लोगों ने लालू यादव और राबड़ी देवी के 15 साल का जंगलराज देखा है, वे लोग आज भी उस वक्त की अराजकता और खस्ता कानून व्यवस्था की चर्चा करते हैं। उन्होंने ये भी देखा है कि नीतीश सरकार के शासन काल में कैसे बिहार में कानून व्यवस्था बहाल करने की कोशिश की गई।
संगठित माफिया और राजनीतिक गठजोड़ पर वार करते हुए पीएम मोदी ने भी अपनी रैली में लोगों को लालू-राबड़ी के जंगलराज की याद दिलाया। माफिया शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को सीवान से टिकट दिए जाने के बाद एनडीए ने जमकर पुराने दिनों की याद ताजा की। यहां तक कि नई पीढ़ी को भी पुरानी पीढ़ी से पूछने के लिए उस वक्त क्या-क्या होता था? कुल मिलाकर जंगलराज की याद बिहारवासियों को दिलाने में एनडीए सफल रहा।
पहले चरण की वोटिंग के बाद पीएम मोदी ने 8 नवंबर को सीतामढ़ी की रैली को संबोधित किया। उन्होंने जनता का मतदान में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने के लिए आभार जताया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जंगलराज वालों को 65 वोल्ट का झटका लगा है। पीएम मोदी ने जंगलराज शब्द को परिभाषित करते हुए कहा, जंगलराज का मतलब है कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुसंस्
बिहार में छोटे किसानों की संख्या ज्यादा है। इसलिए पीएम मोदी ने उनके हितों की बात की पीएम ने कहा, बिहार के किसानों को अब तक करीब 30,000 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। ये सारा पैसा बिना किसी कट और कमीशन के किसानों के खाते में जमा हुआ है। अगर यही जंगलराज वाले होते तो और उनके साथी कांग्रेस वाले होते तो आपके हक का यह सारा पैसा लूटकर वो अपनी तिजोरी भर लेते। ये मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि कांग्रेस के एक पीएम ने कहा था कि दिल्ली से 1 रुपया निकलता है तो गांव तक पहुंचते-पहुंचते ये 15 पैसा हो जाता है। पीएम मोदी मुफ्त अनाज, पक्के मकान, शौचालय से लेकर अपनी सरकार की सभी योजनाओं से गरीबों को होने वाले फायदे को गिनाना कभी नहीं भूले।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राहुल गांधी द्वारा सेना के शौर्य पर उठाए गए सवाल को भी पीएम मोदी जनता के बीच ले गए। उन्होंने कहा, आतंकवादियों को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में घुसकर तबाह किया गया। सेना का शौर्य कांग्रेस-राजद को पसंद नहीं आया। धमाके पाकिस्तान में हो रहे थे और नींद कांग्रेस के शाही परिवार की उड़ी हुई थी। उन्होंने कहा कि आज तक पाकिस्तान और कांग्रेस के नामदार दोनों ही ऑपरेशन सिंदूर के सदमे से बाहर नहीं निकल पाए। उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर घुसपैठियों के प्रति नरम रुख रखने का आरोप लगाया और घुसपैठिया मुक्त भारत बनाने का वादा किया
महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर पूरी तरह बात नहीं बनने, राहुल गांधी की बिहार यात्रा में तेजस्वी को सीएम चेहरा नहीं घोषित करने और बाद में दबाव के बीच सीएम पद का चेहरा तेजस्वी यादव को बनाए जाने पर पीएम मोदी ने चुनावी रैलियों में जमकर चुटकी ली। प्रधानमंत्री ने कहा, कांग्रेस ने जंगलराज के युवराज को पैदल तो किया ही, सीएम पद के नाम पर कांग्रेस ने हामी तक नहीं भरी। इसके बाद आरजेडी ने भी कांग्रेस को सबक सिखाने की ठानी और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ ही अपना उम्मीदवार उतार दिया। ये दोनों दल एक-दूसरे के बाल नोचने में लगे हैं और तो खबर ये है कि हर बूथ पर कांग्रेस के लोगों ने आरजेडी को हराने की ठान ली है।
राहलु गांधी ने बिहार में चुनाव प्रचार तो पूरे जोश से शुरू की थी। राज्य में न्याय यात्रा भी निकाली और जनता से जुड़ने की कोशिश की। लेकिन जल्दी ही शांत हो गए। यहां तक कि जब चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर था, तब राहुल गांधी 57 दिनों तक बिहार से गायब रहे। इस दौरान विदेश यात्रा से लेकर यूपी हरियाणा में समर्थकों के बीच जाने और दिल्ली में इमरती छानने तक की तस्वीरें आईं। उन्होंने एसआईआर का विरोध किया और वोट चोरी के आरोप लगाए, लेकिन जनता को यह बताने या समझाने में नाकाम रहे। बिहार चुनाव के दौर में उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव के वक्त वोट चोरी हुई थी, इसे साबित करने के लिए फर्जी फोटो का इस्तेमाल किया। यहां तक कि ब्राजीलियन मॉडल का वह फोटो वायरल हो गया, जिसे राहुल गांधी ने हरियाणा का मतदाता बताया था। ये सारे फर्जीवाड़े वाले आरोप जनता को आकर्षित करने में नाकाम रहे।
नीतीश कुमार के 20 साल के शासनकाल के बावजूद लोगों में उनके प्रति गुस्सा देखा नहीं गया, जो आम तौर पर लंबे वक्त तक सत्ता में रहने के बाद नेताओं के प्रति जनता का होता है। हालांकि रोजगार के मुद्दे पर लोगों में नाराजगी दिखी। इसको भांपते हुए एनडीए ने अपने संकल्प पत्र में बिहार में 1 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। इसे पीएम मोदी ने भी अपनी रैली में दोहराया। यहां तक कि पलायन का मुद्दा भी बिहारवासियों के लिए अहम रहा है। इसको देखते हुए पीएम मोदी ने शिक्षा, कौशल विकास से लेकर बिहार में ही काम करेगा, बिहार का ही नाम करेगा जैसे नारे देकर जनता को विश्वास दिलाया कि सरकार इन मुद्दों पर गंभीर है।
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