15 राज्यों के 596 अधिकारियों पर कार्रवाई
मोदी सरकार की महत्वपूर्ण योजना जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार!
822 ठेकेदारों और 152 निरीक्षण एजेंसियों पर भी एक्शन
नई दिल्ली, 10 नवंबर (एजेंसियां)। मोदी सरकार की महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन में आर्थिक अनियमितताएं सामने आने के बाद 15 राज्यों में 596 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। मिशन से जुड़े 822 ठेकेदारों और 152 थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियों पर भी सख्त एक्शन लिया गया है। संसद के मानसून सत्र में भी जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मसला दोनों सदनों में उठा था।
जल जीवन मिशन घोटाले के कई मामलों में सीबीआई, लोकायुक्त और अन्य भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसियां भी जांच कर रही हैं। 15 राज्यों में जल जीवन मिशन को लेकर 16,634 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 16,278 मामलों में जांच रिपोर्ट भी तैयार हो गई है। सबसे अधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई हैं, जहां 14,264 शिकायतें दर्ज हुई हैं। असम में 1,236 और त्रिपुरा में 376 मामले दर्ज किए गए हैं।
एक तरफ इतनी बड़ी संख्या में शिकायतें सामने आई हैं, तो दूसरी ओर अधिकारियों के खिलाफ एक्शन भी हुआ है। उत्तर प्रदेश में 171 अधिकारी, राजस्थान में 170 अधिकारी और मध्य प्रदेश में 151 अधिकारी कार्रवाई के घेरे में आए हैं। इसी तरह कई ठेकेदारों पर भी कार्रवाई की गई है। त्रिपुरा में 376, उत्तर प्रदेश में 143 और पश्चिम बंगाल में 142 ठेकेदारों के खिलाफ कदम उठाए गए हैं। जिन राज्यों से कार्रवाई या अनियमितता की रिपोर्ट आई है, उनमें छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झा
अक्टूबर 2024 में डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन (डीडीडब्लूएस) ने एक निर्देश जारी कर कहा था कि जल जीवन मिशन के तहत चल रही सभी परियोजनाओं की जमीन पर जाकर समीक्षा की जाए। इससे पहले केंद्र सरकार ने भी एक नोडल अधिकारियों की टीम बनाई थी, जो इस मिशन की प्रगति की निगरानी कर रही है। इसी साल 21 मई को यह उजागर हुआ कि जल जीवन मिशन की गाइडलाइनों में तीन साल पहले किए गए बदलावों के कारण कई परियोजनाओं की लागत काफी बढ़ गई थी। जल जीवन मिशन के तहत चल रही 14,586 योजनाओं में कुल 16,839 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च हुआ।
जल जीवन मिशन की शुरुआत मोदी सरकार ने 2019 में की थी, जिसका उद्देश्य था कि 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल से जल कनेक्शन पहुंचाया जाए। यह मिशन 2024 में समाप्त घोषित कर दिया गया था। हालांकि, 1 फरवरी 2025 को बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि इस योजना के लिए 2028 तक आर्थिक सहायता जारी रखी जाएगी। लेकिन अब तक कैबिनेट ने इस बजटीय प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है। वहीं, कुछ राज्यों मसलन, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक,
पिछले महीने डीडीडब्लूएस ने कई राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा था कि 20 अक्टूबर तक रिपोर्ट दी जाए। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट करने को कहा गया था कि जल जीवन मिशन में खराब काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, कितनों पर एफआईआर दर्ज की गई, और रिकवरी एक्शन कहां तक पहुंचा इसका पूरा ब्यौरा दें। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से उन ठेकेदारों और निरीक्षण एजेंसियों का भी विवरण मांगा गया था, जिन पर जुर्माना लगा है। जल शक्ति मंत्रालय ने घटिया काम या धन के दुरुपयोग के मामलों में अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है। यह निर्देश जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) के निर्देश का हिस्सा है, जिसमें मुख्य सचिवों से व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। मिशन की समयसीमा को 2028 तक बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
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