जलवायु संकट पर दुनिया की नींद टूटी तो सही, समाधान फिर भी भारत ही देगा
CM योगी का गरजता संदेश
यूएन की निष्क्रियता पर सीधा प्रहार—‘वैश्विक संकटों पर आंख मूंदने वाले देश खुद भी बच नहीं पाएंगे’
लखनऊ। 21 नवम्बर। विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 26वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसा आक्रामक, बेलाग और वैश्विक चेतावनी का संदेश दिया, जिसने पूरे सभागार को झकझोर दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, वैश्विक आतंकवाद और स्वास्थ्य संकट जैसे मुद्दों को दुनिया यदि अभी भी हल्के में लेती रही, तो यह आग हर देश के दरवाजे तक पहुंचेगी। योगी ने कहा कि “किसी एक देश में लगी आग को देखकर यदि हम मौन हैं, तो हमें यह समझना होगा कि वह आग देर-सबेर हमारे घर तक भी आएगी।”
सीएम योगी यहां सिटी मॉन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित मुख्य न्यायाधीशों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज कोई भी वैश्विक समस्या अब किसी एक देश की समस्या नहीं रह गई है। दुनिया के हर देश को इन चुनौतियों का सामना सामूहिक रूप से करना होगा। “यदि कोई देश आंखें बंद कर संकटों को अनदेखा कर रहा है, तो वह अपने विनाश का रास्ता खुद तैयार कर रहा है।”
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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मानवता और न्याय एक-दूसरे के पूरक हैं और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में न्याय व्यवस्था की भूमिका निर्णायक है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि “आज साइबर क्राइम, डेटा चोरी और नई तकनीक आधारित अपराध न्याय व्यवस्था को सीधी चुनौती दे रहे हैं। ऐसे दौर में न्याय, नैतिकता और इंटरनेशनल लॉ को एक बड़ी लकीर खींचनी होगी, नहीं तो अराजकता दुनिया को घेर लेगी।”
उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों से भारत पूरी दुनिया को एक परिवार मानकर चलता आया है—‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ सिर्फ नारा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। संकट के हर दौर में भारत ने मत, मजहब और विचारधारा की दीवारों को तोड़कर दुनिया को सहारा दिया है।
सीएम योगी ने कहा कि आज वैश्विक संकटों की जड़ संवादहीनता है। देश–देश के बीच, समाज–समाज के बीच और व्यक्ति–व्यक्ति के बीच संवाद खत्म हुआ है। “यह सम्मेलन संवाद की पुनर्स्थापना का मंच है। डॉ. जगदीश गांधी द्वारा शुरू किया गया यह प्रयास दुनिया को एक साथ सोचने की प्रेरणा देता है।”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के पुराने संकल्पों को भी कटघरे में खड़ा किया। “यूएन ने न्यायपूर्ण तथा जवाबदेह वैश्विक प्रणाली की बात कहीं थी, लेकिन आज भी यह लक्ष्य अधूरा है। यूएन प्लेटफॉर्म का उपयोग अब केवल औपचारिकताओं तक सीमित है। जरूरत इस बात की है कि दुनिया की वास्तविक समस्याओं—जलवायु परिवर्तन, साइबर खतरे, आतंकवाद, स्वास्थ्य—पर मुखर होकर कार्रवाई की जाए।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की प्राचीन व्यवस्था पांच तत्वों—पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश—को पवित्र मानकर चलती है। इसी सोच ने भारत को पर्यावरण संरक्षण का अग्रदूत बनाया है। “दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, लेकिन समाधान भारत के पास है।”
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में पारित होने वाले सभी प्रस्तावों को तत्काल यूएन तक पहुंचाया जाना चाहिए। “दुनिया को भारत की सोच—शांति, करुणा और मानवता—की पहले से ज्यादा जरूरत है।”
कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीश, उप-न्यायाधीश, सीएमएस संस्थापक निदेशक डॉ. भारती गांधी, प्रो. गीता गांधी किंगडन सहित बड़ी संख्या में गणमान्य मौजूद रहे। सीएमएस छात्रों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी वैश्विक एकता का संदेश दिया।

