जल्द ही पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त होगा वक्फ बोर्ड: होई कोर्ट
दिल्ली स्टेट वक्फ हज कमेटी की चेयरमैन कौसर जहां ने कहा
नई दिल्ली, 31 जनवरी (एजेंसियां)। वक्फ संशोधन विधेयक-2024 को लेकर विपक्ष की सियासत के बीच जेपीसी ने इसके संशोधन को स्वीकार कर लिया है। इसकी रिपोर्ट भी लोकसभा स्पीकर को सौंप दी गई है। इस पर खुशी जाहिर करते हुए दिल्ली स्टेट वक्फ हज कमेटी की चेयरमैन कौसर जहां ने कहा कि अब जल्द ही वक्फ बोर्ड एक पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त संस्था बनेगी।
कौसर जहां ने कहा, वक्फ संशोधन विधेयक को जेपीसी की मंजूरी मिल गई है। मुझे खुशी है कि वक्फ संशोधन की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा। जल्द ही संसद में भी इन सुधारों पर मुहर लगेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वक्फ बोर्ड एक पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त और सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व वाली संस्था बन जाएगी। देश को वाकई में इन सुधारों का इंतजार है।
जेपीसी ने वक्फ बिल को लेकर 14 सुधारों को मंजूर कर लिया है। इसके तहत जेपीसी ने राज्य वक्फ बोर्डों में 4 गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का आह्वान किया है। वक्फ बोर्ड के मामले में राज्य सरकार के ऊपर के स्तर के अधिकारी को राज्य सरकार जांच के लिए नामित कर सकती है। बदले जाने वाले नियमों के मुताबिक मुस्लिम होने का दावा करने वाला व्यक्ति अगर अपनी सम्पत्ति वक्फ को दान करना चाहता है, तो उसे सबूत पेश करने होगा कि वह कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन करता आ रहा है। वक्फ से संबंधित विवादों की जांच के लिए राज्य सरकार जिलाधिकारी या ऊपर के अधिकारी को जांच सौंप सकती है। विधवाओं और अनाथों के लिए कल्याणकारी उपायों पर फैसले के लिए वक्फ बोर्डों को कानून द्वारा अनिवार्य करने की जगह अनुमति देने का प्रस्ताव है। वक्फ बोर्ड काउंसिल में कम से कम दो मुस्लिमों का होना अनिवार्य है, यह केंद्र या राज्य द्वारा तय अधिकारी से अलग होगा। किसी भी प्रकार की विवादित सम्पत्तियों को दान नहीं किया जा सकेगा। वक्फ ट्रिब्यूनल में तीन सदस्य होंगे, तीसरा इस्लामिक स्कॉलर होगा। उल्लेखनीय है कि मुस्लिम संगठनों ने जिलाधिकारी को जांच अधिकारी बनाने का विरोध किया था। मुस्लिमों का कहना था कि जिला कलेक्टर राजस्व अभिलेखों के प्रमुख होते हैं, ऐसे में उनके द्वारा निष्पक्ष जांच की आशा नहीं की जा सकती।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा: वक्फ बोर्ड के सीईओ को हटाओ
हैदराबाद, 31 जनवरी (एजेंसियां)। हमेशा से दूसरों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला वक्फ बोर्ड तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश के बाद खुद ही मुश्किलों में घिरने वाला है। अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए तेलंगाना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो स्टेट वक्फ बोर्ड के सीईओ को तत्काल उनके पद से हटाए, क्योंकि उनके पास अपेक्षित योग्यता की कमी है।
तेलंगाना वक्फ बोर्ड के सीईओ के चयन के लिए हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था, लेकिन चार माह बीतने के बाद भी सीईओ का चयन नहीं कर पाया। इसी को लेकर मोहम्मद अकबर नाम के व्यक्ति ने तेलंगाना हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि अदालत द्वारा तय, समय सीमा के बाद भी सीईओ का पद खाली रहा। बोर्ड के मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक प्राधिकृत अधिकारी के बजाय एक गैर संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को सीईओ बना दिया, जिससे वक्फ की सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचा।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मोहम्मद असदुल्लाह, जिन्हें वक्फ बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया है, वो असल में एक स्पेशल डिप्टी कलेक्टर थे, जिनकी नियुक्ति वक्फ अधिनियम की धारा 1995 के सेक्शन 23 के अंतर्गत पात्रता के मानदंडों को पूरा ही नहीं करती। इस पर तेलंगाना वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश वकील डीवी सीताराम मूर्ति ने दावा किया कि जीओ आरटी. नंबर के जरिए मोहम्मद असदुल्लाह को सीईओ नियुक्त करके आदेश का अनुपालन किया है। इन सभी मामलों पर सुनवाई करते हुए तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि अवमानना की कार्यवाही न्यायिक आदेशों को सुनिश्चित करती है, लेकिन, उसे पीड़ित के द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसी के साथ अदालत ने अवमानना की याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने ये पाया कि मोहम्मद असदुल्लाह की नियुक्ति वक्फ अधिनियम के अनुरूप नहीं है। क्योंकि इसके अनुसार, वक्फ बोर्ड का सीईओ केवल राज्य सरकार के उपसचिव स्तर का ही अधिकारी हो सकता है। इसके बाद कोर्ट ने असदुल्लाह की योग्यता को कम बताते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश जारी कर दिया।