यूनुस सरकार अवामी लीग को करना चाहती है निष्प्रभावी

शेख हसीना ने आईसीटीसी के फैसले पर उठाए सवाल, बोलीं—

यूनुस सरकार अवामी लीग को करना चाहती है निष्प्रभावी

ढाका, 17 नवम्बर (एजेंसियां)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीटीबी) द्वारा उनके खिलाफ सुनाए गए फैसले को न केवल पूर्वाग्रही बताया है, बल्कि इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है। सोमवार को जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि यह फैसला ‘न्यायिक प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता’ पर प्रश्नचिह्न लगाता है और यह साफ दिखाता है कि अंतरिम सरकार का उद्देश्य अवामी लीग को कमजोर करना है। उनके अनुसार, यह मुकदमा और उसका परिणाम वास्तविक तथ्यों पर आधारित न होकर राजनीतिक दबाव में संचालित रहा।

हसीना ने कहा कि पिछले वर्ष जिस छात्र आंदोलन और उससे जुड़ी हिंसा को उनके अपराध की श्रेणी में रखा गया है, उसके सही तथ्यों को अदालत के सामने प्रस्तुत ही नहीं किया गया। उन्होंने याद दिलाया कि आंदोलन के दौरान किस तरह कई संगठन और विपक्षी धड़े हिंसा को बढ़ावा देकर सरकार को अस्थिर करना चाहते थे, लेकिन जांच एजेंसियों ने इन तत्वों को नज़रअंदाज़ कर सारा दोष सरकारी तंत्र पर मढ़ दिया। उनका तर्क है कि यह साजिश कई महीनों से रची जा रही थी और अदालत का फैसला उसी राजनीतिक योजना का हिस्सा है।

उन्होंने अंतरिम सरकार और नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस का नाम लिए बिना कहा कि वर्तमान प्रशासन का लक्ष्य है— “अवामी लीग का जनाधार समाप्त करना और उसे राजनीतिक रूप से निष्प्रभावी बनाना।” हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस और उनके निकट माने जाने वाले मंत्री तथा विदेशी लॉबी लंबे समय से अवामी लीग को सत्ता से बाहर रखने की रणनीति बना रहे थे, ताकि बांग्लादेश की नीतियों को उनके अनुकूल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि जब देश की आर्थिक व अवसंरचनात्मक प्रगति विश्व स्तर पर चर्चा का विषय बनी थी, तभी कुछ ताकतों ने सरकार को घेरने का अवसर ढूंढा।

अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा कि अदालत ने जिन मामलों को आधार बनाकर फैसला सुनाया है, वे न केवल संदिग्ध हैं बल्कि उनके पीछे वर्षों से चली आ रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की गंध भी साफ महसूस होती है। उन्होंने कहा कि जांच करने वाली एजेंसियों ने प्रत्यक्षदर्शियों के बयान, दस्तावेज़ी साक्ष्य और आंदोलन के दौरान विपक्ष की भूमिका पर गंभीरता से विचार ही नहीं किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य निष्पक्ष जांच करना नहीं, बल्कि राजनीतिक लाभ उठाना था।

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हसीना ने कहा कि वह अपने खिलाफ आए फैसले को “जनता के सामने लाएंगी” और यह बताएंगी कि किस प्रकार तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया और आरोपों को राजनीतिक रूप दिया गया। उनका कहना है कि अंतरिम सरकार के भीतर ऐसे कई तत्व सक्रिय हैं जो चाहते हैं कि अवामी लीग राजनीति से पूरी तरह बाहर हो जाए, ताकि वे अपने हितों को साध सकें।

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उन्होंने यह भी कहा कि अदालत के फैसले से देश में भय और अनिश्चितता का माहौल बन गया है और इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी चिंता बढ़ रही है। उनका कहना है कि न्याय की मांग करने वालों की आवाज दबाई जा रही है और जिन लोगों ने पिछले वर्ष हिंसा फैलाने में भूमिका निभाई थी, उन्हें बचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति देश की लोकतांत्रिक परंपरा के लिए खतरनाक है।

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अंत में उन्होंने कहा कि वह अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने का आग्रह करती हैं तथा आशा करती हैं कि सत्य अवश्य सामने आएगा। उनका विश्वास है कि बांग्लादेश की जनता ऐसे राजनीतिक षड्यंत्रों को समझती है और समय आने पर इसका जवाब देगी।

शेख हसीना को मौत की सजा मिलने के बाद बांग्लादेश में तनाव

ढाका, 17 नवम्बर (एजेंसियां)। बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीटीबी) द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देशभर में तनाव की स्थिति गहराती जा रही है। फैसले के तुरंत बाद ढाका, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट सहित कई हिस्सों में विरोध और असंतोष के स्वर तेज हो गए। कई जगह सुरक्षा बलों ने एहतियातन फ्लैग मार्च निकाला और मुख्य संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।

हसीना के समर्थकों का कहना है कि यह फैसला राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है और इसका मकसद अवामी लीग को पूरी तरह खत्म करना है। दूसरी ओर, अंतरिम सरकार का दावा है कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया का परिणाम है तथा इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं हुआ। हालांकि ज़मीनी स्तर पर स्थिति बेहद अलग दिखाई देती है—कई क्षेत्रों में दुकानें बंद हैं, लोग घरों में कैद हैं और सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

फैसले के बाद सबसे अधिक चिंता इस बात की है कि विपक्ष और सत्तारूढ़ अंतरिम सरकार के समर्थकों के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है। अवामी लीग नेताओं ने कहा है कि फैसले के बाद उनके कई कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें झूठे मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है। वहीं सुरक्षा बल का तर्क है कि वे “कानून-व्यवस्था बनाए रखने” के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।

सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की भी खबरें सामने आ रही हैं। कई जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय घरों से बाहर निकलने से डर रहा है क्योंकि पिछले वर्ष हुए आंदोलन के दौरान भी अल्पसंख्यकों पर हमले हुए थे। अब इस नए फैसले के बाद उनकी चिंता और बढ़ गई है। बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह स्थिति लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है और न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।

आर्थिक मोर्चे पर भी असर दिखाई देने लगा है। शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई है, विदेशी निवेशक असमंजस में हैं और व्यापार जगत फैसले से उत्पन्न अस्थिरता पर चिंता जता रहा है। कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की सलाह दी है, जबकि कुछ ने आगामी सप्ताह तक कार्यालय बंद रखने का निर्णय लिया है।

आईसीटीबी द्वारा हसीना के खिलाफ सुनाए गए फैसले में कहा गया है कि उन्होंने पिछले वर्ष के छात्र आंदोलन को “हिंसक रूप से दबाने” का आदेश दिया था, जिसके चलते सैकड़ों लोगों की मौत हुई। हालांकि हसीना ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह आंदोलन विपक्ष द्वारा प्रायोजित था और हिंसा की जिम्मेदारी उन संगठनों पर थी जो सरकार को अस्थिर करना चाहते थे।

फैसले के खिलाफ अपील के लिए 30 दिन का समय दिया गया है, लेकिन चूंकि हसीना वर्तमान में भारत में हैं और उन्हें फरार घोषित किया जा चुका है, इसलिए कानूनी स्थिति और जटिल हो गई है। यदि वे निर्धारित समय में सरेंडर नहीं करतीं तो उनका अपील का अधिकार स्वतः समाप्त हो जाएगा, जिससे राजनीतिक और सामाजिक तनाव और बढ़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित करेगा। देश पहले ही आर्थिक चुनौतियों और बढ़ती बेरोज़गारी से जूझ रहा है, ऐसे में राजनीतिक उथल-पुथल हालात को और खराब कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रिया तेज है—कई देशों ने संयम बरतने की अपील की है और बांग्लादेश में स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया है।

स्थिति को देखते हुए अंतरिम सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। अगले कुछ दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है, क्योंकि अवामी लीग के कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।

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