भगोड़ों को फिर भारत घसीट लाने की तैयारी

 35 आर्थिक अपराधी और 34 आतंकी/अपराधी भारत से फरार

भगोड़ों को फिर भारत घसीट लाने की तैयारी

गृह मंत्री के निर्देश पर जांच एजेंसियों ने तेज की कवायद

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (एजेंसियां)। भारत छोड़ कर भागे आर्थिक अपराधियों के साथ-साथ आतंकियों, भ्रष्टाचारियों और अन्य संज्ञेय अपराध के वांछितों को भारत वापस लाने की तैयारियां तेज गति से शुरू कर दी गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर केंद्रीय एजेंसियों ने कवायद तेज कर दी है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के दस्तावेज बताते हैं कि तकरीबन 35 ऐसे भगोड़े हैं जो आर्थिक अपराध कर देश से भाग गए। इनके अलावा 34 खूंखार अपराधियों और आतंकियों की भी तलाश है जो भारत छोड़ कर भागे हुए हैं।

सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने सभी जांच और खुफिया एजेंसियों से बेहतर तालमेल और फरार लोगों की सूचना साझा करने की अपील की है। सीबीआई निदेशक ने देशभर से आए राज्य पुलिस प्रमुखों और केंद्रीय एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों से अपील करते हुए कहा कि भगोड़े अपराधियों को विदेशों से वापस लाने के लिए आपस में बेहतर तालमेल बनाने और सूचनाएं साझा कर कारगर परिणाम दिया जाएगा। केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने इस सिलसिले में पुख्ता रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया है, क्योंकि भारत की ओर से विभिन्न देशों को भेजे गए प्रत्यर्पण अनुरोधों में पुख्ता दस्तावेजी साक्ष्य होना चाहिएताकि वे अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रिया में टिक सकें।

एनआईए के महानिदेशक सदानंद दाते ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के तहत खासकर अनुपस्थिति में मुकदमा (ट्रायल इन एब्सेंशिया) जैसे प्रावधानों का इस्तेमाल फरार आरोपियों पर किया जा सकता है। देशभर की 45 केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के 200 से अधिक अधिकारियों ने इस मसले पर गंभीरता से मंथन किया। इसमें गृह मंत्रालयविदेश मंत्रालयसीबीआईएनआईएईडीएनसीबीएफआईयूइंटरपोल समेत अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे। 25 विशेषज्ञ अधिकारियों ने विदेश से सहयोग करने वाले स्रोतों के बेहतर इस्तेमालभगोड़ों की लोकेशन ट्रैकिंग में तकनीक के इस्तेमालवित्तीय लेन-देन की जांच से भगोड़ों तक पहुंच और नारकोटिक्सआतंकवादसाइबर क्राइम और आर्थिक अपराधियों पर विशेष प्रस्तुतियां सामने रखीं।

कई व्यापारी/आर्थिक अपराधी, भारतीय बैंकों और सरकारी संस्थाओं को करीब 40,000 करोड़ का चूना लगा कर देश छोड़कर भाग चुके हैं। विजय माल्या 17 विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपए के गबन के आरोपी हैंवहीं नीरव मोदीएमी मोदीनीशल मोदी और मेहुल चौकसी करीब 13600 करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले के अभियुक्त हैं।

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आधिकारिक तथ्य है कि केवल विजय माल्या या नीरव मोदी ही नहीं, बल्कि 35 बड़े पूंजीपति देश में बड़े आर्थिक घोटाले करके फरार हो चुके हैं। सरकार का कहना है कि विभिन्न जांच एजेंसियां जैसे सीबीआईईडी इनसे जुड़े 15 मामलों की जांच कर रही हैं। अनुमान है कि देश छोड़कर भाग चुके व्यापारी भारतीय बैंकों और सरकारी संस्थाओं को करीब 40,000 करोड़ का चूना लगा चुके हैं। विजय माल्या 17 विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपए के गबन के आरोपी हैंवहीं नीरव मोदीएमी मोदीनीशल मोदी और मेहुल चौकसी करीब 13600 करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले के आरोपी हैं। लेकिन इन दोनों व्यापारियों के अलावा कई दूसरे व्यापारी भी हैंजो देश के बैंकों का पैसा लेकर विदेश भागे हुए हैं। लेकिन उनकी चर्चा कम है। अब सरकार ऐसे मामलों में सख्त कदम उठा रही है।

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भगोड़ों की लिस्ट में सबसे पहला नाम विजय माल्या का है। माल्या पर 9 हजार करोड़ रुपए के किंगफिशर एयरलाइंस ऋण मामले में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2017 को अवमानना का दोषी ठहराया था। कोर्ट ने माल्या को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर अपने बच्चों के विदेशी अकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का सही ब्यौरा न देने के लिए दोषी करार दिया था। मशहूर शराब कारोबारी विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस पर देश के 13 बैंकों का करीब 9 हजार करोड़ रुपए कर्ज था। माल्या कर्ज चुकाने के बजाए साल 2016 में देश छोड़कर फरार हो गए। फिलहाल माल्या ब्रिटेन में रह रहे हैं।

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फरार उद्योगपतियों/पूंजीपतियों की लिस्ट में दूसरा नाम ललित मोदी का हैजिस पर 125 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। यह घोटाला 2008 के टीवी राइट्स डील से जुड़ा हैजिसमें ललित मोदी को 125 करोड़ का फायदा होने की बात सामने आई थी। 2010 में ललित मोदी से इस मामले में पूछताछ की गई तो आयकर और ईडी के अधिकारियों की सिर्फ एक पूछताछ के बाद वे यूके भाग गए। 2012 में ललित मोदी पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ललित मोदी के खिलाफ नोटिस जारी किया था और इंटरपोल से कई बार ललित मोदी के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था. इंटरपोल ने न केवल ईडी की रेड नोटिस को नामंजूर कर दिया बल्कि आदेश जारी करके ललित मोदी के सभी डेटा को भी हटा दिया। साल 2017 में तमिलनाडु पुलिस ने मुंबई पुलिस को इस मामले को संभालने के लिए पत्र लिखा था। आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी के खिलाफ भी करोड़ों रुपए का धन-शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला चल रहा है। साल 2010 में पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। ललित मोदी भी भारत से फरार होने के बाद से ब्रिटेन में रह रहे हैं।

फरार हस्तियों में तीसरा नाम गुजरात के बड़े कारोबारी नितिन संदेसरा का हैजो 5700 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले का मुख्य आरोपी है। स्टर्लिंग बायोटेक के मालिक नितिन जे. संदेसरा को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा चुका है। इस मामले में हितेश नरेंद्र भाई पटेलदीप्ति संदेसरा और चेतन संदेसरा पर भी आरोप है। साल 2017 में दोनों एजेंसियों की जांच शुरू करने के कुछ दिन पहले ये परिवार भारत छोड़कर दुबई के रास्ते नाइजीरिया भाग गया था। संदेसरा परिवार ने उसी समय से नाइजीरिया और अल्बानिया दोनों देशों की नागरिकता ले रखी है।

फरार व्यापारियों में नीरव मोदी का नाम सुर्खियों में रहा है। हीरे के कारोबारी नीरव मोदी और उनके रिश्तेदार मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए करीब 13000 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपी हैं। नीरव मोदी मेहुल चोकसी का भतीजा है। नीरव और उनके रिश्तेदारों ने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए विदेशी अकाउंट्स में ट्रांसफर की। नीरव मोदी और मेहुल चौकसी दोनों फरार हैं। सरकार ने दोनों को भारत वापस लाने की औपचारिकताएं तेज कर दी हैं। सीबीआई ने नीरव मोदी के खिलाफ 2018 में रेड नोटिस जारी किया था। रेड नोटिस जारी होने के बाद ब्रिटेन से नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया। नीरव मोदी को मार्च 2019 में भारत के प्रत्यर्पण वारंट के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन यूके सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नीरव अभी तक भारत नहीं आया है। नीरव के प्रत्यर्पण का एक कानूनी मामला अदालत में रूका हुआ है, जिसकी वजह से वह अभी तक विदेश में है। मेहुल चोकसी भी 13500 करोड़ के पीएनबी ऋण घोटाले का मुख्य आरोपी है। साल 2018 में मेहुल के खिलाफ सीबीआई में मामला दर्ज किया गया थाजिसके बाद चोकसी विदेश भाग गया था। मेहुल चोकसी ने कैरेबियन में एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ली थी।

सोने और हीरे के कारोबारी जतिन मेहता विनसन इंडिया लिमिटेड के मालिक हैंजिन्होंने कंपनी के नाम पर करीब 7000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। कर्ज नहीं चुकाने के कारण बैंकों ने जतिन मेहता को नोटिस जारी किया। जिसके बाद मेहता अपने परिवार के साथ फरार हो गए और कैरेबियन द्वीप सेंट किट्स की नागरिकता ग्रहण कर ली। इसी तरह टेक्सटाइल एक्सपोर्ट फर्म कोट्सपिन प्राइवेट लिमिटेड और इसके प्रमोटर आशीष जोबनपुत्रा और उनकी पत्नी 770 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपी हैं जो देश छोड़ भागे हुए हैं। हथियार डीलर संजय भंडारी करीब 150 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपी हैं। भंडारी ने देश के बाहर करीब 150 करोड़ रुपए की संपत्ति खरीदीजिसे उन्होंने कर न देने के उद्देश्य से आयकर अधिकारियों के समक्ष घोषित नहीं किया। संजय भंडारी भी देश छोड़ कर फरार हैं। विजय माल्यानीरव मोदी और मेहुल चोकसी की तरह विनय मिश्रा को भी भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। सीबीआई के मुताबिक विनय मिश्रा सजा से बचने के लिए विदेश भाग गया। विनय मिश्रा कोयला और गाय तस्करी के गिरोह का प्रमुख सरगना रहा है।

भारत में मोस्ट वांटेड अपराधियों का जिक्र आते ही सबसे पहले दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आता है। वह 1986 से ही फरार है, लेकिन उसे वापस लाने में भारत की सारी एजेंसियां नाकाम साबित हुई हैं। देश से भागकर विदेश में अपराध का साम्राज्य फैलाने का सिलसिला डी कंपनी से ही शुरू हुआ था। अब देश के 34 मोस्ट वांटेड अपराधियों/आतंकियों की सूची में कई जाने अनजाने अपराधियों का नाम शुमार हो चुका है। ये गैंगस्टर दुनियाभर के 17 देशों में छिपे बैठे हैं। इन पर हत्याजबरन वसूलीटारगेट किलिंगहथियार तस्करीटेरर फंडिंगड्रग्स तस्करी व फिरौती के दर्जनों अपराध हैं। इन्हें भारत लाने के लिए गृह मंत्रालय ने इंटरपोल की मदद से सभी के नाम पर मोटी इनामी राशि और रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी करवाए हैं। इन सभी के प्रत्यर्पण के लिए विदेश मंत्रालय ने समय-समय पर संबंधित देशों से अपील भी की है। इसके बावजूद ये न सिर्फ भारतीय जांच एजेंसियों बल्कि जहां छिपे हैंवहां की जांच एजेंसियों को भी चकमा दे रहे हैं।

इनमें कुछ खास अपराधी सरगनाओं में दाऊद इब्राहिम अपराधियों के साथ-साथ आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का नाम भी शामिल है। पन्नू अमेरिका और कनाडा में सरकारी संरक्षण में रह रहा है। भारत छोड़ कर भागे अपराधियों/आतंकियों ने पाकिस्तानअमेरिकाऑस्ट्रेलियाकनाडाअजरबैजानजर्मनीइंडोनेशियाब्रिटेन और यूएसी जैसे कई देशों में पनाह ले रखी है। गृह मंत्रालय का कहना है कि सबसे ज्यादा 11 मोस्ट वांटेड अपराधी/आतंकी कनाडा में हैं। भारत छोड़ कर भागे अपराधियों/आतंकियों का सबसे बड़ा पनाहगाह कनाडा के बाद अमेरिका ही है।

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