“मुगलों ने हिंदू पहचान मिटाने की साज़िश रची, औरंगज़ेब ने तिलक–जनेऊ तक पर हमला किया”
योगी आदित्यनाथ का प्रहार
लखनऊ, 25 नवम्बर,(एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जनसभा में मुगल शासकों पर तीखा और सीधा हमला बोलते हुए कहा कि इतिहास में एक ऐसा कालखंड भी रहा है जब पूरे भारत में हिंदू आस्था, परंपरा और पहचान को मिटाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अत्याचार किए गए। उन्होंने विशेष रूप से मुगल बादशाह औरंगज़ेब को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि औरंगज़ेब ऐसा क्रूर शासक था जिसने हिंदुओं की आस्था के प्रतीकों—तिलक, जनेऊ और सनातन परंपराओं—को मिटाने का स्पष्ट अभियान चलाया। योगी ने कहा कि मुगल शासन के दौरान पूरे भारत का इस्लामीकरण करने का प्रयास किया गया और हिंदू धार्मिक प्रथाओं को समाप्त करने की कोशिश की गई। मुख्यमंत्री के अनुसार यह केवल राजनीतिक विस्तार नहीं था, बल्कि धार्मिक पहचान को तोड़ने की गहरी साज़िश थी जिसकी पीड़ा आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि औरंगज़ेब ने हिंदुओं पर अत्याचार की सारी सीमाएं पार कर दी थीं। उन्होंने कहा कि औरंगज़ेब के शासन में कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत तक अत्याचारों की एक लंबी श्रृंखला चली, जिसमें तिलक और जनेऊ पर खास तौर से निशाना साधा गया। उन्होंने कहा कि हिंदू पहचान को मिटाने की इस साज़िश के पीछे बिल्कुल स्पष्ट विचार था—आस्था को तोड़कर भारतीय समाज को अपनी मूल जड़ों से काट देना। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि मुगलों ने धार्मिक परिवर्तन के लिए बल प्रयोग किया और लोगों की आस्था को कुचलने के लिए कठोर आदेश जारी किए। उनके अनुसार औरंगज़ेब के दौर में कश्मीर के हिंदुओं पर इतने अत्याचार हुए कि इतिहास आज भी उस दर्द को याद करता है।
योगी आदित्यनाथ ने इस प्रसंग में सिख इतिहास का उल्लेख करते हुए गुरु तेग बहादुर के अद्वितीय बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा कि अत्याचारों के उस भीषण दौर में जब पूरा उत्तर भारत औरंगज़ेब के दमनकारी फरमानों से कांप रहा था, ठीक उसी समय गुरु तेग बहादुर मानवता की रक्षा के लिए खड़े हुए। योगी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर न सिर्फ सिखों के लिए बल्कि पूरे भारत की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक ढाल बनकर सामने आए। उन्होंने बेखौफ होकर औरंगज़ेब की अत्याचारपूर्ण नीतियों का विरोध किया और इस विरोध की कीमत अपने प्राणों की आहुति देकर चुकाई।
मुख्यमंत्री ने गुरु तेग बहादुर के साथियों पर ढाए गए क्रूर अत्याचारों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भाई मति दास को पहले यातनाएं दी गईं और फिर आरी से चीर दिया गया। भाई सती दास को रुई में लपेटकर जिंदा जला दिया गया। वहीं भाई दयाला को उबलते पानी के बड़े कुंड में फेंक दिया गया। इन तीनों संतों ने अपनी जान गंवा दी, लेकिन अपनी आस्था, अपने धर्म और अपने गुरु के प्रति निष्ठा से एक इंच भी नहीं डगमगाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि औरंगज़ेब की क्रूरता का यह वह अध्याय है जिसे भारतीय इतिहास बार-बार दोहराता है और जिसे आने वाली पीढ़ियों को भी याद रखना चाहिए।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने न सिर्फ अपनी आस्था की रक्षा की बल्कि हिंदू समाज को यह संदेश भी दिया कि अत्याचार के सामने झुकना नहीं है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने यह सिद्ध कर दिया कि सनातन संस्कृति किसी भी बाहरी आक्रमण या दमन के आगे झुकने वाली नहीं है। चाहे विदेशी आक्रमणकारी हों या आततायी शासक—सनातन परंपरा की जड़ें इतनी गहरी हैं कि वे हर चुनौती का सामना करती रही हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज जब देश सांस्कृतिक पुनरुत्थान की ओर बढ़ रहा है, तब गुरु तेग बहादुर का बलिदान और भी प्रासंगिक हो जाता है। उन्होंने कहा कि अयोध्या धाम से यात्रा करके इस कार्यक्रम में आना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने घोषणा की कि सनातन का भगवा ध्वज आज फिर उसी चमक के साथ लहरा रहा है, जिसकी रक्षा के लिए सिख समुदाय ने पीढ़ियों तक अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने कहा कि यह ध्वज केवल धर्म का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रतिरोध, आत्मसम्मान और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज भारत एक नए सांस्कृतिक आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि जो चीजें मुगल शासन मिटाने की कोशिश करता था, वही आज देश की पहचान बनकर उभर रही हैं। वर्षों तक जिस सनातन संस्कृति पर हमले किए गए, आज वही संस्कृति विश्व को मार्गदर्शन दे रही है। योगी ने कहा कि आज का भारत वह भारत नहीं है जिसे विदेशी शासकों ने कमजोर करने की कोशिश की थी। आज का भारत जागृत है, समृद्ध है और अपनी विरासत पर गर्व करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक धारा को मिटाने के लिए चाहे जितने प्रयास किए गए, लेकिन यह धारा आज भी अविरल बह रही है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जैसे बलिदानी वीरों ने यह सुनिश्चित किया कि सनातन की लौ कभी बुझने न पाए। उन्होंने कहा कि आज का दिन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि संकल्प का भी है—संकल्प इस बात का कि सनातन परंपरा की रक्षा, संवर्धन और गौरव को आगे बढ़ाया जाएगा।
योगी आदित्यनाथ के बयान ने स्पष्ट कर दिया कि वह इतिहास को केवल याद नहीं कर रहे, बल्कि उसे वर्तमान की राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना से जोड़कर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास के ये अध्याय केवल पुस्तकों में पढ़ने भर के लिए नहीं, बल्कि पहचान, आत्मसम्मान और जागरूकता बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि यदि अत्याचारों को भूल जाना ही इतिहास का उद्देश्य होता, तो गुरु तेग बहादुर जैसे बलिदानी व्यक्तित्वों का महत्व खत्म हो जाता। लेकिन सच यह है कि उनका बलिदान आज भी भारतीय समाज को प्रेरित करता है और हर भारतीय को यह याद दिलाता है कि आस्था की रक्षा के लिए खड़े होना कितना महत्वपूर्ण है।
समारोह के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन का भगवा ध्वज आज उसी शौर्य के साथ लहरा रहा है जिसके लिए सिख समुदाय की पीढ़ियों ने बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर की अमर गाथा हमें हमेशा यह सिखाती रहेगी कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार किसी राजा की देन नहीं, बल्कि ईश्वर की देन है, और इसकी रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यदि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ें, तो कोई शक्ति भारत की आध्यात्मिक धारा को रोक नहीं सकती।

