नारी शक्ति को न्याय! असम में बहुविवाह विधेयक पारित
अब दूसरी शादी पड़ेगी भारी
पटना, 27 नवम्बर (एजेंसियां)। असम विधानसभा ने बहुविवाह पर रोक लगाने वाले 'असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025' को पारित कर राज्य में कड़ा संदेश दिया है कि महिलाओं के अधिकारों से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कानून के तहत दूसरी शादी करने वालों को 7 से 10 साल तक की कठोर कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है। सरकार ने इसे इस्लाम-विरोधी कदम बताने की आशंकाओं को खारिज करते हुए स्पष्ट कहा है कि यह महिलाओं की रक्षा और समाज सुधार का कानून है, न कि किसी धर्म पर प्रहार।
विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तुर्की का उदाहरण देते हुए कहा कि “सच्चा मुसलमान बहुविवाह का समर्थन नहीं कर सकता।” उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि इस कानून का स्वागत कर समाज में न्याय और समानता का समर्थन करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस्लाम ने बहुविवाह को मान्यता दी है यह भ्रांति है, और इस विधेयक के पारित होने से महिलाओं के प्रति न्याय की भावना मजबूत होगी।
यह विधेयक छठी अनुसूची के क्षेत्रों को छोड़कर पूरे असम में लागू होगा और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 तथा अनुच्छेद 366(25) के अर्थ में किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्य पर भी लागू होगा। विधेयक के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बहुविवाह करता है, तो उसे 7 साल की कैद होगी, और पहली शादी को जानबूझकर छिपाने पर 10 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा, बहुविवाह का शिकार होने वाली महिलाओं को मुआवजा और कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बहुविवाह के अनुष्ठान में गाँव का मुखिया, काज़ी, माता-पिता या कोई अभिभावक धोखे से शामिल होता है, तो उसे भी दो साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना झेलना पड़ेगा। दोहराए गए अपराधों पर सख्त दंड का प्रावधान रखा गया है।
विधेयक पारित होते ही असम के मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि इस कानून का पारित होना “असम की नारीशक्ति को न्याय दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम है।”

