सीपी राधाकृष्णन बने देश के 15वें उपराष्ट्रपति

 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई उपराष्ट्रपति पद की शपथ

सीपी राधाकृष्णन बने देश के 15वें उपराष्ट्रपति

समारोह में पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्रियों के साथ धनखड़ भी आए

नई दिल्ली, 12 सितंबर (एजेंसियां)। सीपी राधाकृष्णन ने भारत के नए उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। मंगलवार को हुए चुनाव में राधाकृष्णन ने इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत दर्ज की थी। 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद 9 सितंबर को नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव हुआ था। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम केंद्रीय मंत्री और सांसद मौजूद थे। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी भी शपथ ग्रहण समारोह में शरीक हुए।

इससे पहले उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। गुरुवार को राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में यह जानकारी दी गई थी। राष्ट्रपति मुर्मू ने राधाकृष्णन के इस्तीफे के बाद गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। देवव्रत फिलहाल दोनों राज्यों के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालेंगे।

देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन की उपराष्ट्रपति पद की तक यात्रा असाधारण रही है। इस सफर की शुरुआत छात्र आंदोलन से हुई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव के बाद इसका विस्तार राष्ट्रीय फलक तक हुआ। संघ से सक्रिय राजनीति में आए सीपी राधाकृष्णन ने भाजपा में संगठन में लंबे समय तक काम किया। 2004 से 2007 तक वह तमिलनाडु प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान 2007 में उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा की। इसका मकसद देश की नदियों को जोड़नाआतंकवाद का उन्मूलनसमान नागरिक संहिता लागू करनाअस्पृश्यता निवारण और मादक पदार्थों के खतरों से निपटना था। 2020 से 2022 तक वह केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे। उन्हें संगठन और प्रशासन दोनों क्षेत्रों में मजबूत पकड़ वाला नेता माना जाता है। विनम्र और सुलभ नेता की छवि रखने वाले राधाकृष्णन को उनके समर्थक तमिलनाडु का मोदी कहकर पुकारते हैं।

ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से आने वाले राधाकृष्णन की शादी सुमति से हुई है और उनके एक बेटा और एक बेटी है। उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के प्रत्याशी चुने जाने से पहले तक वह महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। वह पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने थे। इससे पहलेफरवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। झारखंड के राज्यपाल रहते उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उप राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था। राधाकृष्णन ने दक्षिण भारत में भाजपा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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सार्वजनिक जीवन में उनका प्रवेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में हुआ था। वह 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। 1996 में उन्हें तमिलनाडु में भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद वह कोयंबटूर से 1998 और 1999 में दो बार लोकसभा के लिए चुने गए। हालांकि, 2004, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार कोयंबटूर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सांसद रहते हुए वह संसदीय स्थायी समिति (कपड़ा मंत्रालय) के अध्यक्ष रहे। इसके अलावावह स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष संसदीय समिति के सदस्य थे।

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वर्ष 2004 में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में राधाकृष्णन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। वह ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे। वर्ष 2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया थाजहां उन्होंने चार साल तक काम किया। उनके नेतृत्व में भारत से नारियल रेशे के निर्यात रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई थी।

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