२२ से ७ अक्टूबर तक ४२० करोड़ रुपये की लागत से पुनः सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण कराया जाएगा: सीएम

२२ से ७ अक्टूबर तक ४२० करोड़ रुपये की लागत से पुनः सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण कराया जाएगा: सीएम

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| बहुचर्चित सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण इस महीने की २२ से ७ तारीख तक किया जा रहा है और मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने सभी से सर्वेक्षण में भाग लेने और जानकारी देने की अपील की है| गृह मंत्रालय कृष्णा में एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण, जिसे जाति जनगणना माना जाता है, के बारे में विस्तृत जानकारी दी| राज्य में २ करोड़ घर हैं और जनसंख्या ७ करोड़ है|

सभी घरों का सर्वेक्षण करने के लिए दशहरा अवकाश के दौरान १.७५ लाख शिक्षकों की सेवाएँ ली जा रही हैं| उन्होंने बताया कि प्रत्येक शिक्षक को १२० से १५० घरों का सर्वेक्षण करने की जिम्मेदारी दी गई है| शिक्षकों और आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय पर ३७५ करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे और राज्य सरकार ने पहले चरण में ४२० करोड़ रुपये जारी किए हैं| उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर और धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी| कांताराजू आयोग द्वारा पहले किए गए १५-दिवसीय सर्वेक्षण पर १६५ करोड़ रुपये खर्च हुए थे| रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया है क्योंकि यह १० साल पुरानी है और इसकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है| उन्होंने बताया कि पिछड़ा वर्ग के लिए स्थायी आयोग द्वारा जारी पुनर्सर्वेक्षण में वैज्ञानिक तरीके अपनाए गए हैं|

दिसंबर तक सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं| हर घर को बिजली कनेक्शन के साथ एक आरआर नंबर दिया गया है| जियो-टैग किए गए लोगों द्वारा तैयार किए गए विशिष्ट घरेलू पहचान (यूएचआईडी) स्टिकर मीटर रीडर द्वारा प्रत्येक घर में आरआर नंबर के आधार पर चिपकाए जाते हैं| इसके बाद, आशा कार्यकर्ता सर्वेक्षणकर्ताओं के जाने से तीन दिन पहले प्रत्येक घर का दौरा करती हैं और उन्हें सर्वेक्षण के दौरान भरे जाने वाले प्रश्नावलियाँ देती हैं| इससे शिक्षित लोगों को उन प्रपत्रों को पढ़ने और सर्वेक्षणकर्ताओं को उत्तर देने के लिए तैयार रहने में मदद मिलेगी| उन्होंने कहा कि ये कदम इसलिए उठाए जा रहे हैं ताकि कोई भी सर्वेक्षण से बच न पाए|

इससे पहले, कांताराजू आयोग ने ५४ प्रश्न पूछे थे| उन्होंने बताया कि वर्तमान सर्वेक्षण में ६० प्रश्न पूछे जा रहे हैं| जिन लोगों को सर्वेक्षण में अपनी जाति बताने में शर्म आती है, उनके लिए वैकल्पिक तरीके भी हैं| उन्होंने बताया कि आयोग की वेबसाइट पर या पिछड़ा वर्ग स्थायी आयोग द्वारा स्थापित हेल्पलाइन नंबर ८०५०७७०००४ पर कॉल करके जानकारी दी जा सकती है| जिन लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है, उन्हें अपना धर्म बताना होगा| सर्वेक्षण में केवल उनके वर्तमान धर्म को ही शामिल किया जाएगा|

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शिक्षकों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि जो लोग अपनी जाति बताने में हिचकिचाते हैं, उन्हें शांतिपूर्वक समझा सकें और जानकारी प्राप्त कर सकें| प्रत्येक परिवार का आधार कार्ड और राशन कार्ड मोबाइल नंबर से लिंक किया जाएगा| यदि मोबाइल नंबर नहीं है, तो अन्य उपाय किए जाएँगे| यूएचआईडी नंबर न होने पर भी, शिक्षकों को ऐसे परिवार की पहचान करने और सर्वेक्षण करने की अनुमति होगी| उन्होंने बताया कि इसके लिए १०० रुपये अतिरिक्त मानदेय के रूप में दिए जाएँगे| केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना कराने का भी निर्णय लिया है| यदि अभी जाति बताने में हिचकिचाहट है, तो केंद्र सरकार को सर्वेक्षण के दौरान यह बताना होगा|

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केंद्र सरकार जनगणना तो करती है, लेकिन सामाजिक-शैक्षणिक जानकारी एकत्र नहीं करती| मुख्यमंत्री ने असमानता को दूर करने और सामाजिक न्याय बनाए रखने के लिए सर्वेक्षण को जरूरी बताया|

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लिंगायत और वीरशैव लिख सकते हैं कि वे किस धर्म से हैं| हम सामाजिक और शैक्षणिक जानकारी एकत्र करने के लिए सर्वेक्षण कर रहे हैं| यह धर्म का निर्धारण करने के लिए नहीं है, बल्कि असमानता ७८ वर्षों से मौजूद है| उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण अंबेडकर की इच्छा के अनुसार स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को लागू करने के लिए किया जा रहा है| प्रेस कॉन्फ्रेंस में पिछड़ा वर्ग विकास मंत्री शिवराज, पिछड़ा वर्ग स्थायी आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन और आयोग के अधिकारी मौजूद थे|

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