परमाणु बम गिराने में सक्षम 114 सुपर राफेल विमान खरीदेगा भारत
ऑपरेशन सिंदूर: राफेल मारा नहीं था, राफेल के झांसे में आया था पाकिस्तान
फ्रांस से 2 लाख करोड़ की सबसे बड़ी डील पर बातचीत शुरू
60% स्वदेशी सामग्री के साथ भारतीय कंपनियां करेगी तैयार
नई दिल्ली, 13 सितंबर (एजेंसियां)। भारतीय वायुसेना ने 114 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज दिया है। इस प्रस्ताव के साथ संलग्न रिपोर्ट से यह पुष्टि हो गई है कि ऑपरेशन सिंदूर के दरम्यान राफेल विमान मार गिराने का पाकिस्तानी दावा झूठा था। दरअसल, पाकिस्तान राफेल विमान के झांसे में आ गया था। राफेल में लगे एक पुछल्ले ने पाकिस्तानी मिसाइल सिस्टम को भ्रमित कर दिया और पाकिस्तान को लगा कि उसने राफेल को हिट किया है। राफेल की इस तकनीक ने पाकिस्तान को उलझाया और उसके पूरे रडार सिस्टम को कुछ देर के लिए ठप्प कर दिया। राफेल विमानों की खरीद को लेकर भारत और फ्रांस के बीच 2 लाख करोड़ की सबसे बड़ी डील पर बातचीत शुरू हो गई है। भारत की शर्त है कि ये विमान फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के साथ मिलकर बनाए जाएंगे, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक भारतीय उपकरणों का इस्तेमाल होगा। भारतीय नौसेना ने भी 36 राफेल मरीन जेट ऑर्डर किए हैं।
इस खरीद से भारतीय रक्षा बलों में राफेल विमानों की संख्या 176 हो जाएगी। भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही 36 राफेल फाइटर जेट हैं। नौसेना ने भी 36 राफेल मरीन जेट के ऑर्डर दिए हैं। यह प्रस्ताव ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया है, जहां राफेल ने पाकिस्तान के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया था। इसके स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम ने चीनी पीएल-15 मिसाइलों को धूल चटा दी थी। भारत में निर्मित होने वाले इन नए राफेल विमानों में मौजूदा स्कैल्प मिसाइल से लंबी रेंज वाली एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। डसॉल्ट एविएशन हैदराबाद में एम-88 इंजनों के लिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) सेंटर स्थापित करने की योजना बना रही है। कंपनी ने फ्रेंच जेट्स के रखरखाव के लिए पहले ही एक यूनिट बना ली है। टाटा जैसी निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियां इस एयरक्राफ्ट की मैनुफैक्चरिंग में शामिल होंगी।
चीन और पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमाओं पर बढ़ते खतरे के कारण भारतीय वायुसेना को अधिक से अधिक लड़ाकू विमानों की जरूरत है। भारतीय वायु सेना की लड़ाकू विमानों की भविष्य की फ्लीट मुख्य रूप से सुखोई-30 एमकेआई, राफेल, तेजस और अन्य स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर आधारित होंगी। भारत सरकार ने हाल ही में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को 97 एलसीए एमके 1ए जेट के लिए भी ऑर्डर दिए हैं, जिसकी अनुमानित लागत 62,000 करोड़ रुपए है। 48000 करोड़ रुपए 83 एलसीए एमके 1ए जेट के लिए ऑर्डर 2021 में दिया जा चुका है।
इस डील के फाइनल होने पर यह दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस समझौतों में से एक होगी। यह सौदा वायुसेना की सबसे बड़ी खरीद योजनाओं में से एक होगा और इसे मीडियम रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम के तहत पूरा किया जाएगा। भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल 36 राफेल फाइटर जेट हैं, जिन्हें साल 2020 में भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था। 114 विमानों का सौदा होने का मतलब है कि इससे भारतीय वायुसेना में राफेल लड़ाकू विमानों के 6-7 नए स्क्वाड्रन हो जाएंगे। अभी भारत के पास राफेल के 2 स्क्वाड्रन मौजूद हैं।
राफेल फाइटर जेट का एफ3आर वह वैरिएंट है, जिसे भारत ने साल 2016 खरीदने के लिए फ्रांस से डील किया था। 36 राफेल फाइटर जेट के लिए भारत ने अनुमानित 59,000 करोड़ रुपए का डील किया था। इस वैरिएंट में भारतीय वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक करीब 13 बदलाव किए गए थे। भारतीय वायुसेना ने एफ3आर वैरिएंट को चीन के साथ 2020 के तनावपूर्ण हालात के दौरान पूर्वी लद्दाख में भी तैनात किया था, जिससे इसकी विश्वसनीयता और युद्ध क्षमता साबित हुई थी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर हमला करने के लिए राफेल फाइटर जेट का ही इस्तेमाल किया था। राफेल के एससीएएलपी (स्काल्प) मिसाइलों ने पाकिस्तान में स्थिति आतंकवादियों के ठिकानों को तबाह किया था। एफ-4 वैरिएंट भविष्य की मिसाइलों, बेहतर रडार इमेजिंग, नेटवर्क वॉरफेयर क्षमता और स्मार्ट बमों की बड़ी रेंज के साथ लैस है। भारत अब एमआरएफए कार्यक्रम के तहत सीधे एफ-4 वेरिएंट की ओर देख रहा है।
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