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पाकिस्तान फिर से बना रहा लश्कर का ध्वस्त ठिकाना
ऑपरेशन सिंदूर की मार के बाद भी सुधर नहीं रहा पड़ोसी
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सरकारी पैसे से दोबारा बनाए जा रहे हैं आतंकी अड्डे
नई दिल्ली/इस्लामाबाद, 14 सितंबर (एजेंसियां)। ऑपरेशन सिंदूर की मार के बाद भी पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में ध्वस्त हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने फिर से खड़े किए जा रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के मुरीदके स्थित लश्करे तैयबा का मुख्यालय भी जमींदोज कर दिया गया था, लेकिन पाकिस्तान सरकार अपने पैसे से उसका फिर से निर्माण करा रही है। भारतीय खुफिया एजेंसियों की यह रिपोर्ट सामने आने से पाकिस्तान का गंदा चरित्र दुनिया के सामने एक बार फिर सार्वजनिक हुआ है।
विडंबना यह है कि पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक जहालत झेल रहा है उस पर बाढ़ जैसी आपदा पाकिस्तान के लोगों को तबाह किए हुई है। लेकिन इससे बेखबर पाकिस्तान सरकार आतंकी ठिकानों को सरकारी पैसे से नया रूप देने में लगी हुई है। पहलगाम में हुए एक भयानक आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने इसका बदला लेने के लिए 7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। भारतीय सेना के घातक मिसाइल हमले में मुरीदके स्थित लश्करे तैयबा का मुख्यालय मार्काज तैयबा पूरी तरह बर्बाद हो गया। यह इमारत आतंकियों को ट्रेनिंग देने, हथियार स्टोर करने और ब्रेनवॉश करने के लिए इस्तेमाल होती थी। हमले के निशान पाकिस्तानी जमीन पर आज भी साफ दिखते हैं। इस ऑपरेशन ने न सिर्फ लश्कर के साथ-साथ पाकिस्तान सरकार को भी तगड़ा झटका दिया था। लेकिन पाकिस्तान ने इससे कोई सीख नहीं ली। कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रही।
अब खबर आ रही है कि पाकिस्तान इस तबाह जगह को फिर से चमकाने में लगा है। खुफिया रिपोर्ट बताती है कि 18 अगस्त को बड़ी-बड़ी मशीनें मुरीदके पहुंची थी। इनमें चीन की बनी मशीनें शामिल हैं। 4 सितंबर को पीली इमारत उम्म उल कुरा को उन मशीनों की मदद से तोड़ दिया गया। तीन दिन बाद, 7 सितंबर को लाल इमारत को भी ढहा दिया गया। यह सब लश्कर मुख्यालय के पुनरनिर्माण (रेनोवेशन) का हिस्सा है, जहां पुरानी संरचनाओं को हटाकर नई इमारतें खड़ी की जा रही हैं। यह काम तेजी से चल रहा है, ताकि जल्द ही सब कुछ पहले जैसा हो जाए।
पाकिस्तान का इरादा पांच फरवरी को मनाए जाने वाले कश्मीर सॉलिडैरिटी डे के पहले लश्कर के मार्काज तैयबा को बना कर तैयार कर देना है। इसी तारीख को लश्कर का नया मुख्यालय प्रारंभ करने की तैयारी है। इसके पुनरनिर्माण का मतलब है कि वहां फिर से आतंकियों को ट्रेनिंग, ब्रेनवॉशिंग और भारत पर हमले की साजिशें शुरू हो जाएंगी। मार्काज तैयबा के डायरेक्टर का दायित्व मौलाना अबू जर संभाल रहा है। उस्ताद उल मुजाहिदीन भी इसमें मदद कर रहे हैं, जबकि कमांडर यूनुस बुखारी को ऑपरेशनल इंस्पेक्शन का काम सौंपा गया है। यह सब सरकारी समर्थन से हो रहा है, जो पाकिस्तान की दोगली नीति की सनद है।
सबसे हैरान करने वाली बात फंडिंग की है। अगस्त में पाकिस्तानी सरकार ने लश्कर को करोड़ों रुपए दिए। यह पैसा रिनोवेशन के लिए है, जबकि देश बाढ़ से जूझ रहा है। पहले भी लश्कर ने आपदा राहत के फंड से कोटली में मार्काज अब्बास बनवाया था। पाकिस्तान अवाम की राहत का पैसा आतंकी गतिविधियों में लगाया जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार इसका समर्थन कर रही है।