सैनिकों और सेनाओं को किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने देगी सरकार: राजनाथ
नई दिल्ली, 19 सितम्बर (एजेंसियां)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की 60वीं बरसी के अवसर पर हुए समारोह में अपने संबोधन में यह प्रतिबद्धता व्यक्त की कि सरकार देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सेवारत जवानों, पूर्व सैनिकों तथा शहीदों के परिवारों को पूरी तरह से समर्थन देगी। उन्होंने कहा कि चाहे सम्मान हो, कल्याण हो, आधुनिक उपकरण हों, प्रशिक्षण हो या अन्य संसाधन, किसी तरह की कमी कभी महसूस नहीं होने दी जाएगी।
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में बताया कि 1965 की लड़ाई उस समय की परिस्थितियों की परीक्षा थी, जिसमें सैनिकों ने कठिन चुनौतियों का साहस और दृढ़ निश्चय से सामना किया। उन्होंने युद्ध की घटनाओं—जैसे फिलौरा, चाविंडा आदि मोर्चों पर सेनाओं के पराक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने भारत की लड़ाई की क्षमता को कम आंक लिया था, लेकिन भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता और आत्मबल से उसे झुनझुना कर दिया।
उन्होंने विशेष रूप से वीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को याद किया, जिनके अदम्य साहस ने यह स्पष्ट कर दिया कि मातृभूमि की रक्षा केवल हथियारों से नहीं बल्कि भावना, मनोबल और देशभक्ति से होती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐसा साहस हमें आज भी प्रेरित करता है कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी सैनिक अपना हिसाब देते हैं और राष्ट्र की सुरक्षा में पीछे नहीं हटते।
इसके अलावा उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व की सराहना की, जिनकी इच्छाशक्ति ने उस समय देश को एकजुट किया और ‘जय जवान, जय किसान’ जैसे नारे से देशवासियों में युद्ध के दौरान भी आशा एवं उत्साह कायम रखा।
राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट किया कि सरकार अब और आगे यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है कि सैन्य आधुनिकीकरण, उपकरणों के उन्नयन, प्रशिक्षण सुविधाएँ आदि लगातार बेहतर हों। उनका यह विश्वास है कि देशवासियों की अपेक्षाएँ एवं सैनिकों की उम्मीदें सरकार की प्राथमिकताएँ बनी हुई हैं।
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