वोट चोरी का आइडिया भी चोरी का ही निकला
राहुल गांधी ने म्यांमार से बनवाया था वोट चोरी का खाका
मेटाडाटा से उजागर हुई राहुल गांधी की विदेशी खुराफात
नई दिल्ली, 12 सितंबर (एजेंसियां)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की गतिविधियां और उनकी राजनीति विदेशी शक्तियों की संलिप्तता, रहस्यमय यात्राओं और गुप्त मुलाकातों को लेकर हमेशा संदेहों में घिरी रहती है। हाल ही में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर वोट-चोरी के गंभीर आरोप लगाने वाले राहुल गांधी की विदेशी शक्तियों से साठगांठ और म्यांमार से वोट-चोरी का पूरा मनगढ़ंत खाका तैयार कराने का खुलासा हुआ है।
यह स्पष्ट हुआ कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को बदनाम करने के लिए वोट चोरी की साजिश का प्रपंच रचा। इसके लिए राहुल गांधी जो दस्तावेज सामने लेकर आए, वे भी सवालों के घेरे में यह खुलासा हुआ कि राहुल गांधी ने 7 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिन दस्तावेजों से वोट चोरी को साबित करने की कोशिश की थी, वह असल में म्यांमार में तैयार किया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस दस्तावेज को अपनी वेबसाइट पर भी साझा किया था, जिसे वोट चोरी प्रूफ नाम के टेक्स्ट से हाइपरलिंक किया गया था। गूगल ड्राइव के एक फोल्डर में कुल तीन पीडीएफ फाइलें मिलीं, जिसका नाम था, राहुल गांधी प्रेजेंटेशन-1। इन फाइलों में अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ भाषा में वही दस्तावेज मौजूद थे, जिन्हें कांग्रेस नेता ने 7 अगस्त की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया था। जब इन फाइलों का मेटाडाटा खंगाला गया तो इसकी पुष्टि हुई कि वह दस्तावेज तो भारत का है ही नहीं, वह तो म्यांमार में बनाया गया। उल्लेखनीय है कि मेटाडाटा में किसी भी फाइल की पूरी जानकारी होती है। मेटाडाटा में लेखक का नाम, फाइल बनने की तारीख, समय और साइज जैसी जानकारियां होती हैं। इसकी मदद से किसी फाइल को इस्तेमाल करना, ढूंढ़ना और व्यवस्थित करना आसान हो जाता है। मेटाडाटा की जांच में पाया गया कि तीनों भाषाओं की पीडीएफ में उसके क्रिएट करने की जगह म्यांमार के साथ-साथ उसक तारीख और समय दर्ज है।
जांच में पाया गया कि राहुल गांधी की प्रेजेंटेशन के तीनों वर्जन म्यांमार स्टैंडर्ड टाइम (एमएमटी) में बनाए गए थे। इस खुलासे से कांग्रेस खेमे में हलचल मच गई है। आरोपों का जवाब देने के लिए कांग्रेस की आईटी सेल के ट्रोल और समर्थक सोशल मीडिया मंचों पर सक्रिय हो गए। कांग्रेस नेता और समर्थक वोट-चोरी के खुलासे को नकारने में लग गए। कुछ कांग्रेसी प्रवक्ता ने यह भी कह दिया कि टाइम जोन में गड़बड़ी किसी सॉफ्टवेयर कन्फिगरेशन की समस्या या फिर एडोबी बग के कारण हुई है। हालांकि तकनीकी जांच में कांग्रेस प्रवक्ता का यह तर्क बेमानी साबितहुआ। कांग्रेस के अलावा वामपंथी और प्रोपेगेंडा पत्रकारों और मीडिया ने भी इसके फैक्ट चेक का प्रहसन खेल कर इस खुलासे की लीपापोती करने की कोशिश की। लेकिन सारे प्रयास नाकाम साबित हुए।
यह ध्यान देना जरूरी है कि राहुल गांधी का राजनीतिक गतिविधियां विदेशी शक्तियों की संदेहास्पद संलिप्तता को लेकर लगातार विवादों में घिरी रहती हैं। कांग्रेस का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौता करना हो या फिर राहुल गांधी की रहस्यमय विदेशी यात्राएं, उनकी संदिग्ध गतिविधियां हमेशा देश की नजरों में गंभीर सवालों की तरह चुभ रही हैं। राहुल गांधी की विदेशी अधिकारियों से गुप्त मुलाकातें, कजाकिस्तान, रूस और इंडोनेशिया से चलाए गए बॉट्स के जरिए सोशल मीडिया पर असर डालने वाले कैंपेन इन सबने कांग्रेस पार्टी के प्रति जनता का शक और गहरा कर दिया है। इसके अलावा भारत के दुश्मन माने जाने वाले देश तुर्की में कांग्रेस के दफ्तर खोलने की योजना, संदिग्ध सोशल मीडिया गतिविधियां और बिना किसी सबूत के बार-बार भारत की चुनावी प्रणाली पर सवाल खड़े करना वाकई चिंताजनक है। राहुल गांधी की ताजा मलेशिया यात्रा के दौरान राहुल गांधी की संदेहास्पद विदेशी तत्वों से हुई मुलाकात भी उजागर हो चुकी है। इन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर भारत सरकार की चुप्पी भी देश के लोगों को काफी खल रही है।
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