विभाग ने स्कूलों में यौन शिक्षा देने का कदम उठाया, कुछ संगठन नाराज

विभाग ने स्कूलों में यौन शिक्षा देने का कदम उठाया, कुछ संगठन नाराज

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| स्कूली शिक्षा विभाग ने चालू शैक्षणिक वर्ष से बच्चों में जागरूकता लाने के लिए नैतिक शिक्षा के नाम पर यौन शिक्षा देने की पहल की है, जिस पर कुछ संगठनों ने नाराजगी जताई है| वर्ष २०१५ में भी स्कूलों में यौन शिक्षा देने की कोशिश की गई थी| उस समय एच.एस. दोरेस्वामी समेत कई लोगों ने इसका कड़ा विरोध जताया था| लोगों का कहना था कि बच्चों को यौन शिक्षा देकर समाज की अवनति के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी| प्रगतिशील संगठनों समेत कई संगठनों के कड़े विरोध के बाद सरकार अपने विचारों से पीछे हट गई|

अब यौन शिक्षा पर विवाद फिर से जोर पकड़ने लगा है| केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति बनाई है और कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसे स्वीकार न करने की घोषणा की थी| सरकार बनने के बाद राज्य सरकार ने अलग से शिक्षा नीति बनाने के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की| राज्य की शिक्षा नीति अभी अंतिम रूप नहीं ले पाई है और इस बीच नैतिक शिक्षा देने पर चर्चा शुरू हो गई है| स्कूल शिक्षा विभाग ने ८वीं से १२वीं कक्षा तक के बच्चों की आयु के अनुसार यौन शिक्षा देने की पहल की है| बच्चों में समय से पहले विकास, असामान्य यौवन और हार्मोनल विकास सहित कई तरह की असामान्यताएं देखी जा रही हैं| इसके कारण बच्चों में मानसिक अस्थिरता और भ्रम की स्थिति बढ़ती जा रही है| वैज्ञानिक और आधुनिक युग में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने बच्चों को आगे की सोच के लिए और अधिक लक्षित किया है| इस पृष्ठभूमि में असामान्य विकास हो रहे हैं|

सुझाव हैं कि बचपन में उन्हें नियंत्रित करने के लिए उचित शिक्षा आवश्यक है| घर पर माता-पिता के लिए हार्मोनल विकास और उनके परिणामों के बारे में वैज्ञानिक समझ प्रदान करना मुश्किल है, और तर्क हैं कि यदि स्कूल और कॉलेज स्तर पर यह जागरूकता पैदा की जाती है, तो बच्चे अधिक बुद्धिमान और सचेत हो सकेंगे| पिछली भाजपा सरकार ने पहले बच्चों को नैतिक शिक्षा के साथ महाभारत और रामायण का सारांश पढ़ाने का प्रस्ताव रखा था| उस समय कांग्रेस सहित कई प्रगतिशील संगठनों ने आपत्ति जताई थी|

उनका कहना था कि एक धर्म के सारांश के बजाय सभी धर्मों का सारांश पढ़ाया जाना चाहिए| अब डीएसईआरटी ने नैतिक शिक्षा का मॉडल क्या होना चाहिए, इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए हैं| बच्चों को समझाने वाले तत्वों को संबंधित कक्षा के अनुसार तैयार किया गया है| सप्ताह में कम से कम दो कक्षाओं में नैतिक शिक्षा देने के लिए समय सारिणी तैयार की गई है| स्कूली शिक्षा विभाग बच्चों के शारीरिक विकास के अनुरूप बौद्धिक शिक्षा देने के लिए तैयार है| कुछ संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है कि शिक्षा के नाम पर यौन शिक्षा देना अनुचित है|

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