अरुणाचल हमारा था, है और रहेगा: भारत ने चीन को कड़े शब्दों में दी चेतावनी

प्रेमा वांगजोम मामले पर सख्त रुख

अरुणाचल हमारा था, है और रहेगा: भारत ने चीन को कड़े शब्दों में दी चेतावनी

नई दिल्ली, 26 नवम्बर(एजेंसियां)। भारत ने एक बार फिर साफ और दो-टूक शब्दों में चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है तथा इस तथ्य को कोई भी राजनीतिक बयान या चीनी दावा बदल नहीं सकता। विदेश मंत्रालय ने यह कड़ा रुख उस घटना के बाद अपनाया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय महिला को चीन के शंघाई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मनमाने ढंग से लगभग 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया। चीनी अधिकारियों ने न केवल उसके वैध भारतीय पासपोर्ट को अमान्य बताया, बल्कि राष्ट्रीयता को लेकर उसके साथ अपमानजनक व्यवहार भी किया।

इस मामले के सामने आते ही भारत सरकार ने तत्काल बीजिंग में भारतीय दूतावास तथा नई दिल्ली में चीनी दूतावास को कड़ा विरोध-पत्र सौंपा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत ने इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया है और चीन को स्पष्ट कर दिया है कि किसी भारतीय नागरिक, विशेषकर अरुणाचल प्रदेश के निवासी के साथ ऐसा व्यवहार किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है और चीन का कोई भी दावा या इनकार इस निर्विवाद वास्तविकता को बदल नहीं सकता कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा।

प्रेमा वांगजोम थोंगडोक, जो एक वैध भारतीय पासपोर्ट के साथ जापान की यात्रा के दौरान शंघाई एयरपोर्ट पर ट्रांजिट में थीं, उन्हें चीनी आव्रजन विभाग ने रोक लिया और यह कहते हुए हिरासत में रखा कि उनका पासपोर्ट अमान्य है क्योंकि उनके अनुसार अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। प्रेमा ने आरोप लगाया है कि न केवल उन्हें 18 घंटे तक रोका गया बल्कि उनके साथ व्यवहार बेहद अपमानजनक रहा। चीनी अधिकारियों और एयरलाइन कर्मचारियों ने उनके दस्तावेजों को लेकर तंज कसे और कहा कि उनका राज्य भारत का हिस्सा नहीं है, इसलिए उनका भारतीय पासपोर्ट वैध नहीं माना जाएगा।

प्रेमा ने बताया कि इस पूरे समय उन्हें अपने परिवार से संपर्क की अनुमति तक नहीं दी गई, जिससे उनके परिजन मानसिक रूप से परेशान रहे। उनके बयान के अनुसार यह हिरासत न केवल अनावश्यक थी बल्कि पूरी तरह राजनीतिक प्रेरित दिखाई देती है, जिसका उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के दावे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव के रूप में दिखाना था।

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भारत ने इस दुर्व्यवहार को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन बताते हुए चीन को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि कोई भी देश यह अधिकार नहीं रखता कि वह राजनीतिक विवादों को यात्रियों की सुरक्षा, सम्मान और स्वतंत्र आवाजाही पर थोपे। जायसवाल ने कहा कि चीन का यह रवैया ‘‘मनमाना, अनुचित और राजनयिक मर्यादाओं के विरुद्ध’’ है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अरुणाचल के नागरिकों बल्कि हर भारतीय की सुरक्षा और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसे मामलों में सरकार हमेशा कठोर कदम उठाएगी।

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भारत ने चीन के इस व्यवहार को अनुचित बताते हुए यह भी कहा कि ऐसे कदम द्विपक्षीय संबंधों में अवांछनीय तनाव पैदा करते हैं। जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत ने इस मामले को उच्चतम स्तर पर उठाया है और चीन को यह संदेश दे दिया है कि यात्रियों के साथ राजनीतिक आधार पर भेदभाव किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का ऐसा हिस्सा है जिसकी पहचान, इतिहास और संवैधानिक स्थिति किसी विवाद का विषय नहीं हो सकती।

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चीन द्वारा बीते कुछ वर्षों में बार-बार अरुणाचल प्रदेश को लेकर दावे किए जाते रहे हैं। कभी शहरों के नाम बदलने की कोशिश, कभी मानचित्र जारी करना, तो कभी अरुणाचल के लोगों को वीजा देने में अड़ंगे – इन सभी घटनाओं को भारत ने हर बार सख्ती से खारिज किया है। लेकिन इस बार एक आम भारतीय नागरिक को हिरासत में लेकर उसकी राष्ट्रीय पहचान का मजाक उड़ाना चीन की नई राजनीतिक आक्रामकता के रूप में देखा जा रहा है।

भारत के अनुसार यह घटना केवल एक यात्री के अधिकारों का हनन नहीं, बल्कि एक प्रदेश की अस्मिता और भारत की संप्रभुता पर चोट करने की कोशिश है। सरकार ने कहा है कि चीन की ऐसी हरकतों से न तो भारत भयभीत होगा और न ही अपने किसी नागरिक या प्रदेश की पहचान को लेकर कोई समझौता करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है। यह स्वयं स्पष्ट तथ्य है और चीन का कोई भी बेतुका दावा या इनकार इसे बदलने में सक्षम नहीं है।’’

प्रेमा वांगजोम थोंगडोक के साथ हुए इस दुर्व्यवहार ने देशभर में आक्रोश पैदा किया है। सोशल मीडिया पर भी बड़ी संख्या में लोग चीन के इस व्यवहार की निंदा कर रहे हैं और सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है और इसे उच्च अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है।

भारत ने दोहराया है कि वह अपने नागरिकों की गरिमा, सुरक्षा और सम्मान के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा। मंत्रालय ने कहा कि ऐसी घटनाएँ भारत को और अधिक दृढ़ बनाती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि दुनिया को बार-बार यह बताया जाए कि अरुणाचल प्रदेश न केवल भारत का हिस्सा है, बल्कि भारत की अस्मिता और संप्रभुता का अभिन्न प्रतीक है।