बीमारी का पूर्वानुमान लगाने वाली फर्म ने किया आगाह
संक्रामक बीमारियों की चपेट में भारत समेत कई देश
भारत में एक्यूट डायरिया ने तोड़ा 15 साल का रिकॉर्ड
नई दिल्ली, 20 फरवरी (एजेंसियां)। बीमारी का पूर्वानुमान लगाने वाली एयर फिनिटी फर्म ने एक हालिया विश्लेषण में बताया कि कोरोना के बाद परिस्थितियों में काफी नकारात्मक रूप से परिवर्तन आया है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 2024 में एक्यूट डायरिया डिजीज ने पिछले 15 साल के रिकार्ड को तोड़ दिया। करीब 44 देशों में किए गए सर्वे में पाया गया कि कम से कम एक संक्रामक बीमारी महामारी से पहले की तुलना में दस गुना ज्यादा फैली है। हालिया रिपोर्ट्स में अमेरिका-भारत सहित कई देशों में तेजी से बढ़ रहे एच5एन1 संक्रमण (बर्ड फ्लू) को लेकर वैज्ञानिक आगाह कर रहे हैं, वहीं ब्रिटेन के कई हिस्सों में नोरोवायरस का संक्रमण भी तेजी से बढ़ा है।
पिछले एक दशक के आंकड़े उठाकर देखें तो पता चलता है कि दुनिया के कई देश तेजी से गंभीर और संक्रामक बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं। वहीं पिछला पांच साल और भी गंभीर चुनौतियां बढ़ाने वाला रहा है। साल 2019 के आखिरी के महीनों में शुरू हुई कोरोना महामारी ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधित जोखिमों को तो बढ़ाया ही, इसी के पैरेलल म्यूकोरमाइकोसिस, बर्ड फ्लू, नोरोवायरस सहित कई अन्य बीमारियों ने भी स्वास्थ्य सेवाओं को खूब प्रभावित किया।
विशेषज्ञों ने सभी लोगों को इन संक्रामक बीमारियों से बचाव के उपाय करते रहने और इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर दिया है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 2024 में एक्यूट डायरिया डिजीज ने पिछले 15 साल के रिकार्ड को तोड़ दिया। पिछले साल (2024 में) तीव्र दस्त रोग का प्रकोप रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो दुनियाभर में सबसे आम जीवाणु और वायरल बीमारियों की असामान्य वृद्धि को दर्शाता है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में 22 दिसंबर तक देशभर में एक्यूट डायरिया डिजीज के 1,000 से अधिक प्रकोप दर्ज किए गए। 2009 के बाद से यह उच्चतम स्तर है।
स्वास्थ्य विभाग ने देशभर में फूड पॉइजनिंग के 300 से अधिक प्रकोपों की भी सूचना दी, जो 2019 के बाद से सबसे अधिक है। एक्यूट डायरिया डिजीज कई अलग-अलग कारकों के कारण हो सकता है। साल्मोनेला और विब्रियो पैराहेमोलिटिकस जैसे बैक्टीरिया और नोरोवायरस-रोटावायरस और एस्ट्रोवायरस जैसे वायरस के संक्रमण से ये बीमारी होती है। वैसे तो सभी उम्र के लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं हालांकि बच्चों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है। तीव्र दस्त रोग से पीड़ित रोगियों में बार-बार पतला या पानी जैसा मल आने, उल्टी और बुखार की समस्या होती रहती है। यह रोग आमतौर पर हल्का होता है और अपने आप ठीक हो जाता है, हालांकि गंभीर मामलों में इसके कारण निर्जलीकरण और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
विशेषज्ञों की टीम ने कहा, कोविड-19 महामारी के बाद दुनियाभर में कई बीमारियों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। महामारी के दौरान टीकाकरण में कमी और बदलते पर्यावरणीय कारकों के चलते पहले की तुलना में संक्रामक रोगों के मामले अब काफी ज्यादा देखे जा रहे हैं। भारत-अमेरिका सहित कई अन्य देश इन दिनों एच5एन1 जिसे बर्ड फ्लू भी कहा जाता है, इस रोग से प्रभावित हैं। बर्ड फ्लू को आमतौर पर मुर्गियों और कुछ पक्षियों में होने वाला संक्रमण माना जाता रहा था हालांकि अब न सिर्फ ये इंसानों को संक्रमित कर रहा है बल्कि इसके कारण कुछ लोगों की मौत भी हुई है। हाल ही में वायरस का एक नया वैरिएंट डी1.1 देखा गया है जिसे कई मामलों में सेहत के लिए गंभीर और चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।
हालिया रिपोर्ट्स में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम ने ब्रिटेन के कई हिस्सों में नोरोवायरस के संक्रमण को लेकर भी अलर्ट किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, नोरावायरस के मामले ब्रिटेन में 116 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, जिससे अस्पतालों पर दबाव बढ़ रहा है। आयरलैंड में भी इसके मामले बढ़ने की खबरें सामने आ रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके तेजी से फैलने वाली बीमारी को रोकने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते रहने की सलाह देते हैं। इंग्लैंड में एनएचएस पहले से ही उच्च संक्रमण दर को लेकर चिंता जताता रहा है। फरवरी की शुरुआत में प्रतिदिन औसतन 961 मरीजों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा था। कुछ मामलों में इस संक्रामक रोग के कारण गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं भी देखी जा रही हैं।

