नयी दिल्ली, 24 नवंबर (एजेंसियां)। रूस–यूक्रेन युद्ध के तीन साल से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन संघर्ष का अंत अभी भी धुंधला है। स्थिति तब और विस्फोटक हो उठी है जब अमेरिका की मध्यस्थता में तैयार हो रहे “पीस प्लान” की तारीख करीब आ गई है। एक ओर डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की को समझौते के लिए मनाने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सैन्य दबाव को चरम पर ले जाकर यूक्रेन को घुटनों पर लाने की रणनीति में लगे हुए हैं। युद्ध के मैदान से लगातार मिल रही रिपोर्टों से साफ है कि मॉस्को ने हमलों की गति और तीव्रता दोनों बढ़ा दी हैं। इसका लक्ष्य स्पष्ट है: ज़ेलेंस्की को भयभीत कर देना ताकि वे डोनबास जैसे क्षेत्रों पर रूस के स्थायी कब्ज़े वाले फॉर्मूले को मानने को मजबूर हो जाएँ।
कीव, द्निप्रोव्स्की और पेचेर्स्क जिलों में रूसी मिसाइलों और ड्रोन का कहर मंगलवार को नए स्तर पर दिखाई दिया। तड़के हुए हमलों में सबसे भीषण नज़ारा द्निप्रोव्स्की के नौ मंजिला आवासीय भवन में देखने को मिला, जहाँ आग की लपटों ने कई मंजिलों को घेर लिया। ‘टेलीग्राम’ पर पोस्ट किए गए वीडियो फुटेज में जलती हुई इमारत से उठता धुआँ और क्षतिग्रस्त संरचनाओं ने भयावह स्थिति को स्पष्ट कर दिया। कीव शहर प्रशासन के प्रमुख तिमोर तकाचेंको ने पुष्टि की कि इन हमलों में कम से कम चार लोग घायल हुए हैं।
इसी के साथ यूक्रेन के ऊर्जा मंत्रालय ने भी बताया कि ऊर्जा अवसंरचना को नुकसान पहुँचा है। हालांकि मंत्रालय ने स्पष्ट नहीं किया कि क्षति किस स्तर की है या इससे कितने क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। पिछले कई महीनों से लगातार रूसी हमलों के कारण यूक्रेन के बिजली उत्पादक और वितरण तंत्र पर भारी बोझ बढ़ चुका है, और कई मोर्चों पर ब्लैकआउट की स्थिति बन रही है।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि क्रीमिया समेत विभिन्न रूसी क्षेत्रों के ऊपर रात भर में 249 यूक्रेनी ड्रोन मार गिराए गए। इनमें से 116 ड्रोन सिर्फ काला सागर क्षेत्र में नष्ट किए गए। इस दावे ने दो बातों को स्पष्ट किया—पहला, युद्ध का दायरा अब और गहरा हो चुका है; और दूसरा, यूक्रेन अपनी पूरी क्षमता से रूस के दबाव का सैन्य जवाब देने की कोशिश कर रहा है।
जिनेवा में हाल ही में अमेरिका और यूक्रेनी प्रतिनिधियों के बीच “शांति योजना” पर प्रारंभिक दौर की बातचीत हुई थी, जिसे यूक्रेन की ओर से “काफी रचनात्मक” बताया गया। यूक्रेनी प्रतिनिधि ओलेक्सांद्र बेव्ज़ ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई और आगे की प्रक्रिया पर सहमति बन रही है। लेकिन क्रेमलिन ने इस योजना को लेकर अनभिज्ञता जताई है। प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि उन्होंने कोई नई योजना नहीं देखी, जबकि रूसी मीडिया में लगातार यह नैरेटिव उछाला जा रहा है कि “ज़ेलेंस्की पश्चिम के दबाव में सीजफ़ायर से बच रहे हैं।”
यहाँ सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि डोनाल्ड ट्रंप, जो अब अमेरिकी नीति निर्धारण पर निर्णायक प्रभाव रख रहे हैं, ज़ेलेंस्की को पुतिन की शर्तों के करीब लाने की हर कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार ट्रंप खुले तौर पर यूक्रेन को सैन्य सहायता कम करने, रूस से समझौता करने और युद्ध बंद करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इस दबाव को और प्रभावी बनाने के लिए पुतिन लगातार नई ज़मीन पर कब्ज़ा करने की रफ्तार तेज कर रहे हैं। यह रणनीति स्पष्ट करती है कि रूस चाहता है कि वार्ता टेबल पर रूस की स्थिति मजबूत रहे और अंतिम समझौता उसके पक्ष में झुका हुआ हो।
यूक्रेन की जमीन पर हालात भयावह होते जा रहे हैं। खारकीव में बिजली संकट पहले से चल रहा था, लेकिन रविवार रात हुए हमलों ने ब्लैकआउट को और गहरा कर दिया है। चेरनिहिव में भी ड्रोन हमलों ने कई जगहों पर धमाके करवाए, जिससे न सिर्फ इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं बल्कि आग लगने की घटनाएँ भी सामने आईं। यूक्रेनी नागरिक लगातार भय, अंधकार और अस्थिरता के बीच जीवन बिता रहे हैं।
यह स्थिति शांति वार्ता को और जटिल बनाती है। रूस चाहता है कि समझौते में डोनबास, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन क्षेत्रों में उसका प्रभुत्व मान लिया जाए। वहीं यूक्रेन किसी भी प्रकार की क्षेत्रीय रियायत को लेकर बेहद सतर्क है। अगर ट्रंप—पुतिन फार्मूला चलता है, तो यूक्रेन को अपने कब्ज़े वाले कई क्षेत्रों को रूस को सौंपना पड़ सकता है। सवाल यह है कि ज़ेलेंस्की इस दबाव में कितना झुकेंगे और क्या वह समझौता भविष्य में यूक्रेन को स्थायी नुकसान की राह पर धकेल देगा।
रूसी मीडिया ने यह भी सवाल उठाया है कि “अगर शांति वार्ता चल रही है तो फिर यूक्रेन मॉस्को के नज़दीकी क्षेत्रों को ड्रोन से क्यों निशाना बना रहा है?” यह नैरेटिव रूस अपनी घरेलू जनता के बीच फैलाकर अपने सैन्य अभियान को जायज़ ठहराना चाहता है। जबकि यूक्रेन का तर्क है कि जब तक रूस हमले करता रहेगा, वह भी जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा।
फिलहाल स्थिति यह स्पष्ट करती है कि आने वाले कुछ दिन युद्ध की दिशा को निर्णायक रूप से बदल सकते हैं। पुतिन ने अपनी सैन्य चालें और तेज कर दी हैं, ट्रंप राजनीतिक दबाव बढ़ा रहे हैं और ज़ेलेंस्की अंतरराष्ट्रीय समर्थन और घरेलू दबाव के बीच फँसे हुए हैं। शांति वार्ता कितनी सफल होगी या यह केवल “बलपूर्वक शांति” की ओर ले जाएगी, यह अगले हफ्तों में साफ हो जाएगा। लेकिन इतना तय है कि हर मिसाइल, हर ड्रोन और हर धमाका यूक्रेन को नई चोट दे रहा है—और उसके सामने झुकने, बिखरने या लड़ते रहने के विकल्प सीमित होते जा रहे हैं।

