नई दिल्ली, 1 दिसम्बर,(एजेंसियां)। केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। देश से फरार आर्थिक अपराधियों की सूची में शामिल विजय माल्या, नीरव मोदी समेत कुल 15 भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर बैंकों का 58,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बकाया है। इसमें 26,645 करोड़ रुपये की मूल धनराशि और 31,437 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। सरकार ने बताया कि वर्तमान तक इन अपराधियों से 19,187 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है।
यह जानकारी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस सांसद मुरारी लाल मीणा द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में साझा की। मीणा ने विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को हुए वित्तीय नुकसान और भगोड़ा आर्थिक अपराधियों के नाम-वार विवरण की मांग की थी।
FEOA के तहत अब तक 15 लोग घोषित भगोड़े
वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) के तहत 31 अक्टूबर 2025 तक कुल 15 व्यक्तियों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। इनमें से 9 अपराधी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने में शामिल पाए गए हैं।
सबसे चर्चित नामों में शराब कारोबारी विजय माल्या और हीरा व्यापारी नीरव मोदी शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय बैंकिंग सिस्टम को भारी नुकसान पहुँचाया और देश छोड़कर भाग गए।
कितना नुकसान और कितना ब्याज?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन 15 भगोड़ों ने मिलकर बैंकों को कुल 26,645 करोड़ रुपये का मूल नुकसान पहुँचाया है। एनपीए घोषित होने की तारीख से 31 अक्टूबर 2025 तक इन पर 31,437 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ब्याज भी जुड़ चुका है। इस प्रकार कुल देनदारी 58,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है।
सरकार का कहना है कि अब तक इन अपराधियों से करीब 19,187 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। शेष राशि को वसूलने के लिए संपत्तियों की नीलामी और कानूनी प्रक्रिया जारी है।
इन भगोड़ों के नाम सूची में शामिल
लोकसभा में पेश सूची में जिन व्यक्तियों को FEO घोषित किया गया है, वे हैं:
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विजय माल्या
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नीरव मोदी
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नितिन जे. संदेसरा
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चेतन जे. संदेसरा
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दीप्ति सी. संदेसरा
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सुदर्शन वेंकटरमन
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रामानुजम शेषरत्नम
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पुष्पेश कुमार बैद
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हितेश कुमार नरेंद्रभाई पटेल
इनमें से संदेसरा समूह से जुड़े तीन नामों पर भी भारी वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में जांच चल रही है।
क्या नई रोकथाम नीति बन रही है? सरकार ने कहा—नहीं
लोकसभा सदस्य मुरारी लाल मीणा ने यह भी पूछना चाहा कि क्या सरकार ऐसी कोई नई नीति बना रही है, जिसके तहत बड़े वित्तीय अपराध करने वाले व्यक्तियों को भविष्य में देश छोड़ने से रोका जा सके। इस पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि फिलहाल सरकार ऐसी किसी नई नीति पर विचार नहीं कर रही है।
यानी भविष्य में भगोड़ों को रोकने के लिए मौजूदा कानूनों—जैसे लुकआउट नोटिस, गैर-जमानती वारंट और पासपोर्ट निरस्तीकरण—पर ही निर्भर रहना होगा।
सवालों के घेरे में सरकारी रणनीति
हालांकि सरकार ने वसूली के बड़े आंकड़े पेश किए हैं, लेकिन विपक्ष और विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े आर्थिक अपराधियों को समय रहते रोकने के लिए मजबूत तंत्र की जरूरत है। खासतौर पर माल्या और नीरव मोदी जैसे मामलों में बाद में कार्रवाई होने की वजह से देश को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
फिर भी, FEOA जैसे सख्त कानूनों के जरिए संपत्तियों की जब्ती और वसूली में तेजी जरूर आई है। सरकार का दावा है कि इस कानून के चलते भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर कार्रवाई अब पहले से ज्यादा प्रभावी हुई है।

