“नया भारत आतंकवाद के आगे न झुकता है, न डरता है”
कुरुक्षेत्र की धरती से पीएम मोदी का प्रहार
नयी दिल्ली, 24 नवंबर (एजेंसियां)। कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि मंगलवार को एक बार फिर इतिहास का साक्षी बनी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत-वर्षगांठ पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में देश-विश्व को सशक्त संदेश दिया। मंच से उठी उनकी आवाज़ ने न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक प्रेरणा दी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ भारत की कठोर नीति और युवा पीढ़ी के भविष्य से जुड़े सवालों पर स्पष्ट रुख भी प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत गुरु तेग बहादुर को नमन करते हुए की और कहा कि उनकी शहादत ने मानवता, धर्म और सत्य के लिए जिसने अपना जीवन न्यौछावर किया, वह पूरे विश्व का मार्गदर्शन करती है। इसी संदर्भ में उन्होंने बताया कि भारत की आत्मा शांति में बसती है, लेकिन उसकी रीढ़ अपनी सुरक्षा पर दृढ़ संकल्प से सीधे खड़ी रहती है।
उन्होंने अपने भाषण के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से में ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा की। यह वही सैन्य अभियान है, जिसे भारत ने मई महीने में तब शुरू किया था जब पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जानें चली गई थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि नया भारत न तो आतंकवाद से डरता है और न ही उसके सामने झुकता है। हम शांति चाहते हैं, पर अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे।” उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत की रणनीति अब प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई पर आधारित है, और यह नया भारत साहस, शक्ति और पूर्ण स्पष्टता के साथ आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद की इस कठोर आलोचना के साथ-साथ समाज के भीतर मौजूद एक और गंभीर चुनौती—नशे की समस्या—की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने भी इस विषय पर चिंता व्यक्त की थी और आज वही समस्या आधुनिक रूप में युवाओं के भविष्य को प्रभावित कर रही है। मोदी ने कहा कि “नशे की लत ने कई परिवारों के सपनों और युवा पीढ़ी के भविष्य को खतरे में डाल दिया है। सरकार इस दिशा में हर संभव कदम उठा रही है, लेकिन यह लड़ाई समाज और परिवारों की भी है। गुरुओं की शिक्षा इस समस्या के समाधान की राह दिखाती है।” प्रधानमंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे गुरुओं की त्याग, अनुशासन और सच्चाई की राह को अपने जीवन में अपनाएं।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने दिनभर के कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि सुबह वे अयोध्या में थे और शाम को कुरुक्षेत्र पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि “आज सुबह मैं रामायण की नगरी अयोध्या में था और अब मैं गीता की नगरी कुरुक्षेत्र में हूँ। यह भारत की अद्भुत सांस्कृतिक विरासत के संगम का दिन है।” उन्होंने कहा कि यह केवल संयोग नहीं बल्कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत प्रवाह है, जो देश को जोड़ता है और समाज को प्रेरणा देता है।
उन्होंने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर की प्रगति और वहां के आध्यात्मिक वातावरण ने उनकी यात्रा को विशेष बना दिया। कुरुक्षेत्र में उपस्थित संतों, संगत और श्रद्धालुओं को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर की शहादत हमें सिखाती है कि धर्म की रक्षा, सत्य की स्थापना और मानवता की सेवा के लिए कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि किस प्रकार भारत ने 7 मई को तड़के पाकिस्तान तथा पीओके में आतंकवादी और सैन्य ठिकानों पर सटीक और कठोर कार्रवाई की थी। अभियान में लड़ाकू विमान, मिसाइलें, सशस्त्र ड्रोन और भारी तोपखाने का इस्तेमाल किया गया। यह तीन दिनों तक चलने वाला अभियान था, जिसने न सिर्फ आतंकवादियों को भारी क्षति पहुंचाई बल्कि दुनिया को संदेश दिया कि भारत अब केवल सहने वाला राष्ट्र नहीं, बल्कि निर्णायक कदम उठाने वाला राष्ट्र बन चुका है।
इस कार्यक्रम का वातावरण भावनात्मक भी था और राष्ट्रभक्ति से भरपूर भी। गीता की नगरी की पावन भूमि पर प्रधानमंत्री का यह संदेश भारत के बदलते आत्मविश्वास का प्रतीक बनकर गूंजा। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी संस्कृति, उसके गुरुओं की शिक्षाएँ और उसकी एकता में निहित है। यही शक्ति भारत को विश्व मंच पर मजबूत बनाती है और यही भारत को एक नई दिशा में आगे बढ़ा रही है।
प्रधानमंत्री के भाषण ने न सिर्फ गुरु तेग बहादुर की शहादत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का काम किया बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब आत्मरक्षा और आतंकवाद के सवाल पर पहले की तरह शांत नहीं बैठेगा, बल्कि हर चुनौती का सामना डटकर करेगा।

